________________ PPA Guntrast MS इति श्रुत्वा तयोर्वृत्तं, कुमारः कनकध्वजः // अवता कृते नावं, विशेषेण वनार सः // 37 // | तदा पारापतः कोऽपि, तत्रैव जिनमंदिरे॥लेखं मुमोच तत्पाणौ, सोऽपि वाचयतिस्म तम्॥ __आ प्रमाणे ते कन्या अने पोपटनां वृत्तांतने सांभलीने ते कनकध्वजकुमार. पण अक्षतवडे जिनेश्वरनो पूजा करवाना भावने विशेषे धारण करवा लाग्यो. // 37 // ते वखते कोइपण पारवे तेन जिनमंदिरमा कनकध्वज कुमारना हाथमां पत्र मूक्यो. कुमार पण ते पत्रने वांचवा लाग्यो. // 38 // स्वस्तिलंकामहादीपाद्विल्लोषणपुरादतः // रामदेवानिधः श्रेष्टो, कुमारं कनकध्वजम् ३ए वदत्यदस्त्वयागम्यं, मत्पुत्रीकरपीडने // वाचयित्वेति तं लेखं, दधौ चित्रं नरेंड्नुः // 4 // __ स्वस्तिश्री लंका महादीपरूप आ विभोषणना नगरथी रामदेव नामनो शेठ कनकध्वज कुमारने कहे छ के, "तमारे अहिं म्हारी पुत्रीनो साथे लग्न करवा माटे आवq." आवो पत्र वांचो कुमार आश्चर्य पाम्यो.।।३९-४०॥ * यावत्पश्यति तं पारापतं नूपतिनंदनः // तावता नररूपेण, स्कंधमारोप्य सोऽचलत् // 1 // लंकाहीपे स तं नीत्वा, रामदेवगृहेऽमुचत् // रम्यरामाजनोलूलमदंगध्वनि सुंदरे // 2 // पछी राजकुमार कनकध्वज जेटलामां ते पारेवाने जुए छे, तेटलामां ते पारेवो पुरुषरूप धारण करो कुमारने पोताना खभा उपर बेसारो चाली निकल्यो. // 41 // ते पुरुषे पण कुमारने लंकाद्वोपमा मनोहर एवा स्वायोए वगाडेला मृदंगना शब्दे करीने सुंदर एवा रामदेव शेठना घरने विपे मूक्यो. // 42 // , . तत्राष्टौ कन्यकाः सारशृंगाराः पूर्वसहिताः // परिणिन्ये प्रमोदेन, पूरिताः स महोत्सवात् // जाते विवाहे जामाता, स्वसुरं स्माद कौतुकम् // किमिदं स जगावेत छिनीषणपुरे पुरम् // त्यां ते कुमार उत्सवथी श्रेष्ठ सणगारवाली, प्रथमथी तैयार थइ रहेली अने हर्पथी पूर्ण एवो आठ कन्याओने परण्यो. // 43 // विवाह थया पछा जमाई कनकध्वजे सासराने.आ कौतुक पूछयु एटले ते रामदेवे का के."विभीषणना नगर (लंका)मां आ पुर छे // 44 // Jun Gun Aaradha Trust