________________ गणत च PP.AC.Gunratnasuri M.S. - जिनराजनी अक्षतवडे पूजा करवाथी ते भा त्हारो कमला पुत्रो थइ छे. वलो पुण्यरहित एवो ते सोमानो पति तिर्यच योनीमां आ पोपट थयो छे." // 24 // (स्त्री कनकध्वज राजकुमारने कहेने के,) मुनिनांएवां वचन सांभलीने पछी क्षणमात्रमा ते कन्याने अने पोपटने जातिस्मरण ज्ञान थयुं अने तेथी ते वखते ते पोपट अपुण्यकारो एवा पोतानी निंद्या करवा लाग्यो. // 30 // नरो न रोचते कोऽपि, वरोऽस्या नविता न वा // श्रेष्टिनोक्ते गुरुःप्रोचे,शुको नर्ता नविष्यति॥ जने हसति सर्वस्मिन् , सूरिःप्रोचेऽत्र पत्तने // वत्सरांते शुको मृत्वा, नावी धनपतेः सुतः 35 वली " कोइ पुरुप ए पुत्रीने रूचतो नथी, माटे एने पति मलशे के नहि ?" एम शेठे पूछयु एटले गुरुए al कह्यु के, " आ पोपट एनो पति थशे."॥ 31 // मूरिनां आवां वचन सांभलो सर्वे माणसो हसवा लाग्या एटले सूरिये फरी कह्यु के, एक वर्ष पछी आ पोपट मृत्यु पामीने आज नगरमां धनपति शेठनो पुत्र थशे // 32 // एषापि पंचवर्षांते, निश्चितं मृत्युमाप्स्यति // तवैव नविता पुत्री, नाम्ना कनकसुंदरी॥३३॥ एतयोस्तारतारुण्यमाप्तयोः करपीऽनम् // नविताकृतपूजातः, सुखमप्यतं तयोः // 3 // तेमज आ कन्या पण पांच वर्ष पछी निश्चय मृत्यु पामशे, अने त्हारोज कनक नामनो पुत्रो थशे ॥३३॥उत्तम एवी युवावस्थाने पामेला ते बन्नेनो विवाह थशे अने अक्षतवडे पूजन करवायो तेमने अखंडित एवं मुख पण प्र प्राप्त थशे." // 34 // स्वसुता शुकयोवृतं, श्रुत्वेति मुनिपुंगवात् ॥श्रेष्टी नक्त्या च तं नत्वा, सपुत्रोको गृहं ययो॥ जिनपूजा परं पुण्यमिति निश्चित्य मानसे // कुरुते कारयत्येनं, शुकं साइतढौकनम् // 36 // (स्त्री कनकध्वज कुपारने कहे छे के, ) हे कुमार ! ए प्रमाणे मुनिराजथी पोतानी पुत्री अने पोपटना वत्तांतने सांभळी अने ते मुनिने भक्तिथो वंदना करो पुत्रीसहित शेठ पोताना घरे गयो. // 35 // पछी ते आ पोतेज कन्या "जिनराजनो पूजा एज उत्तम पुण्य" एम मनमां निश्चय करोने पोते जिनेश्वर आगल अक्षत के छे अने पोपट पासे मूकावे छे. // 36 // Jun Gun Aaradhak Trust शा