________________ गुण चरित्र. PPA Gunnast MS पाणिग्रहणयोग्यापि, वरमेषा न वाचति // श्तश्च तत्र संप्राप्ता, श्रीमंतो धर्मसूरयः // 15 // * करे न्यस्तशुकामेतां, सहादाय समागतः // श्रेष्टी पाच तान्नत्वा, केनेयं स्नेहनाक् शुके // विवाहने योग्य एवीय पण आ कन्या पतिनी इच्छा करती नथी एवामां त्यां श्रीमान् धर्ममूरि आव्या. // 15 // पछी हाथ उपर पोपटने धारण करी रहेली आ पुत्रीने साथे लइ मुनि पासे गयेला शेठे तमने नमस्कार करीने पूछयु के, " आ पुत्री शा कारणथी पोपटने विषे स्नेहवाली छे." // 16 // ते प्रोचुर्मगधान्निरव्ये, देशे सग्रामनामनि॥ ग्रामे स्यामाकनामानूत्कृषिकर्मेपि जीवकः॥१७॥ वर्षाकालेऽमुना शालिकेत्रं विहितमादरात् ॥आनिन्ये सोमया पत्न्या, सहासौ शालितंदुलान्॥ (स्त्री कनकध्वज कुमारने कहे छे के) हे कुमार ! पछी ते सूरिये कयुं के, " मगध नामना देशमा सग्राम Ki नामना गामने विषे खेतीथी आजीवीका चलावनारो स्यामाक नामनो कणवी रहेतो हतो. // 17 // ए क णबीए वर्षाकालमां आदरथी डांगरनु खेतर वाव्यु हतुं, तेथी ते पोतानी सोमा स्त्रीनी साथे डांगरना चोखा घरे लावतो हतो. // 18 // देत्रमार्गे स्थितं जैनमंदिरं वीक्षणचया // सोमा समागता शीर्षे, वहंती शालितंउलान् // 15 // अनत्वा जिनमुःस्था, तीर्थवंदारुसाधुना // बन्नाषे सा महानागे, पुण्यं किंचिधिोयते // खतरना मार्गे जैनमंदिर हतुं, तेथी ते जोवानी इच्छाथी सोमा माथे डांगरना चोखाने उपाडती छती त्यां मंदिरमा गइ. // 19 // सां ते जिनराजने नमस्कार करया विना उभी रहेली सोमाने तीर्थपतिने वंदन करवा आ वेला साधुए कह्यु के, "हे महाभाग ! कांइक पुण्य कर. // 20 // सा प्रोचे हेमुने नूनमस्माकं सुकृतं कुतः॥ नित्यं नवनवक्षेत्रकर्मकर्मग्चेतसाम् // 1 // मुनिः प्रोचेऽस्ति किं शीर्षे, सा जगौ शालितंकुलाः॥ स प्राह चेऊिनाग्रेऽमी, ढोकंते सुकृतं ततः॥ सोमाये कह्यु. " हे मुनि ! नित्य नवां नवां खेतरनां कार्यमा वेहेंचाइ रहेला चित्तवाला अमारे पुण्य क्या- XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX Jun Gun Aaradhak Trust 16