________________ PPA Gunnarasut MS तन्मध्ये कन्यका कापि, करस्थितशुकाननम्॥ पश्यंती तत्र संप्राप्ता, लसल्लावण्यशालिनी 7 अदतान् ढोकयंती सा, जिनस्य पुरतः स्वयम् // तेनैव ढोकयामास, शुकेनापि विवेकिना 8 ते स्त्रीयोनी मध्ये हाथ उपर बेठेला पोपटनां मुखने जोती अने सुशोभित लावण्यवाली कोइ पण कन्या त्यांनी आवी. // 7 // जिनराजनी आगल पोतानी मेले चोखा मूकती एवी ते कन्याए विवेकी एवा ते पोपटनी पासे / पण जिनराजना आगल चोखा मूकाव्या. // 8 // अक्षतांतः शुको वक्रेणालिखन्मंगलाष्टकम् // ततस्तया समं प्रीत्या पागेजिनपतिस्तुतिम् // अदतं यानपात्रं त्वं, वर्तसे नववारिधौ // अक्तं शिवसौरव्यं नस्त्वं देहि परमेश्वर // 10 // पोपटे पोतानां मुखथो चोखानी मध्ये अष्टमंगलीक आलेखोने पछी ते कन्यानी साथे प्रीतिथी जिनराजनी स्तुति भणवा लाग्यो. // 9 // हे परमेश्वर ! तमे आ संसार समुद्रमा अखंडित एवा वाहाणरुप छो, माटे तमे अमने अक्षय एवं मोक्ष सुख आपो. // 10 // एतच्चित्रकरं दृष्ट्वा, विस्मितः कनकध्वजः // मित्रेण प्रछया मास, कांचित्तन्मध्यगां स्त्रियम् // सा प्रोचे जिनदत्तस्य, सुतेयं कमलानिधा // जातायां मंदिरे यस्यां, पितुर्घनमन्नूहनम् // __ आ आश्चर्यकारी जोइ विस्मय पामेला कनकध्वजे पोताना मित्रनी पासे ते स्रोयोनी मध्येनी कोइ स्त्रीने पूछाव्यु. // 11 // ते स्त्रीने कयु. “आ जिनदत्त श्रावकनी कमला नामनी पुत्री छे. आ पुत्री उत्पन्न थइ त्यार Se पछी पिताना घरने विषे वह धन एकटं थयं छे.॥१२॥ अष्टवर्ष प्रमाणाया, अस्याः करतले स्वयम् ॥समागत्य शुकस्तस्थौ, कमले राजहंसवत् // एषा कणमपि प्रायो, न तिष्टति शुकं विना // अत्यजंती मनोरंगादंगाजिवमिवान्वहम् // आठ वर्षनी आ पुत्रींना हाथमां कमलने विपे राजहंसनी पेठे पोपटे पोतानी मेले आवीने निवास करयो * छे. // 13 // जेम अंगथी जोव जूदो न रहे तेम निरंतर मनोरंगथी पोपटने न त्यजी देती एवी आ कन्या घj करीने पोपट विना एक क्षणणत्र रहेती नथी. // 15 // Jun Gun Aaradhak Trust