________________ गुण // स्वर्ग 5 मो.॥ PPA Gunnatut MS KXXXXXXXXXXXXXXXXXXX अथतार्चा कृता येन, मंगलाष्टकपूर्वकम् // फलं तस्याश्च वक्ष्यामः, श्रूयता नविका जनाः॥१॥ पुरी शुनंकरा तत्र, हरिर्नाम्ना महीपतिः // सौन्नाग्यदेवो देवी च, देवीवत्द्युतिशालिनी // 2 // जेणे अष्टमंगलिकपूर्व अक्षतपूजा करी छे, तेनुं फल कहुं छु, हे भव्यजनो! ते तमे सांभलो. // 1 // शुभंकरा नगरीमा हरिनामनो राजा हतो अने तेने देवांगना समान कांतिवाली शौभाग्यदेवी नामनी पहराणी हती. // 2 // तनुजो धनदत्तस्य, श्रीदस्तत्कुदिमागतः॥ समये स तयासूतः, पिता चक्रे महोत्सवम् // 3 // * कनकध्वज इत्याख्या, कृता तस्य महीनुजा // वर्द्धमानः कलाशाली, कमात्तारुण्य माप सः 4 .. धनदत्तनो पुत्र श्रीदते सौभाग्य देवीना उदरने विषे आव्यो. देवीये अवसरे तेने जन्म आप्यो, जेथी पि ताए महोत्सव करयो. // 3 // हरि राजाए ते पुत्रनुं कनकध्वज एबुं नाम पाडयु. पछी वृद्धि पामतो अने कलाथी asl सुशोभित एवो ते कुमार अनुक्रमे युवावस्था पाम्यो. // 4 // अन्येयुः सहितो मित्रैर्वने क्रीडन्नसौ ययौ // जिनेनवनं नेत्रध्यप्रीतिकरं नृणाम् // 5 // * नत्वा जिनपतिं तत्र, वीक्ष्यमाणो विचित्रताम्॥ तुकाममसौ देवान प्राप्तं स्त्रीवर्गमैक्तः॥६॥ ___ कोइ वखते ए कनकध्वज पोताना मित्रोसहित वनमा क्रीडा करवा गयो, त्यां तेणे मनुष्योना बन्ने नेत्रोने प्रीतिकारी जिनराजनुं मंदिर दीढुं. // 5 // त्यां जिनराजने नमस्कार करी विचित्रपणुं जोता एवा ते कनकध्वजे जिनेश्वरने वंदना करवा आवेलो स्त्रीयोना समूहने दीठो.॥६॥ Jun Gun Aradhak Trust जा