________________ गुण PPA Gunun MS अधिवास्य प्रगे पंचदिव्यानि नगरेऽखिले ॥मुमोच मंत्रियोग्याय, राज्यं दत्तेति नाषकः॥३९॥ चरित्र तानि तत्र समेतानि, सुमतिर्यत्र वर्त्तते // हयो हेषारवं चके, गजो गर्जितमुर्जितम् // 31 // // 7 // सवारे पंचदिव्य प्रगट करी सर्व नगरमां " योग्य मंत्रीने राज्य आपशे" एम उद्घोषणा करी. // 309 // as पछी ज्यां सुमति हतो त्यां ते सर्व आव्या, ते वखते घोडो खोखारा करवा लाग्यो अने हाथी गर्जना करवा लाग्यो. त्रि विस्तीर्ण शिरसि उत्रं, सुमते स्वयमेव तत् // रेजाते परितस्तं चाधूनिते चारुचामरे // 311 // राजशृंगारमादाय, गजारुढो जनैर्वृत्तः // सुमतिर्नूपतिर्जीयादित्युक्तः स सन्नां ययौ // 31 // सुमतिना माथा उपर ते विस्तारवालुं छत्र पोतानो मेळेज शोभवा लाग्युं अने ते सुपतिनो चारे तरफ म-. नोहर वे चामरो उच्छलवा लाग्या // 311 // राज शणगारने लइ हाथो उपर वेलो अने माणसोथी विंटलायलो ते, सुमति राजा जयवंतो व? एम कहेतो छतो सभामां आव्यो // 31 // .. न्यायेन पालयामास, स्वजनानंददायकः // राज्यं हरिरिव स्वर्गे, सुमतिनूमिनायकः // 313 // अन्यदा शानिनस्तत्र, महेंझनुसूरयः॥समायाताः स तानत्वा श्रौषोद्धर्मोपदेशनम् // 314 // . स्वजनोने आनंद आफ्नारो अने पृथ्वीनो अधिपति एवो सुमति, स्वर्गमां इंद्रनी पेठे न्यायथी राज्यनु पा* लन करवा लाग्यो. // 313 // कोइ वखते ते चंपानगरीमां ज्ञानो एवा महेंद्रप्रभसूरि आव्या एटले सुमति रा जाए तेमने वंदना करी धर्मोपदेश सांभल्यो. // 314 // श्रुत्वोपदेशं पप्रच, निजराज्यस्य कारणम // सूरिः पूर्वनवं प्रोचे, नगरे हस्तिनापुरे // 315 // श्रेष्टिनो धनदत्तस्य, हेमवर्णः सुतोऽनवत् // असौ जिनैपूजायां, पुष्पाणां प्रकरं व्यधात् 316 ___ उपदेश सांभल्या पछी तेणे पोताने प्राप्त थयेला राज्यनुं कारण पूछयु एटले सरिये तेनो पूर्वभव कह्यो के, " हस्तिनापुर नगरने विषे // 315 // धनदत्त शेठने हेमवर्ण नामनो पुत्र हतो, ए हेमवर्णे जिनेश्वरनी पूजाने विष पुष्पोनो प्रकर करयो हतो. // 316 // Jaansur Jun Gun Aaradhat Trust