________________ PPAC Gunratnasuti MS SEXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX सौधयोग्यानि काष्टानि, समेतानि पुरे तव // प्रातावदारका भूपमनुष्यस्त समपात // 285 // MAY एवमुक्त्वा गते तत्र, व्यंतरे मंत्रिनंदनः // पुरतः पुरतः प्राप्त मदोन्मानुषं प्रगे // 6 // __ हारा नगरने विष महेलने योग्य एवां लाकडां आव्यां छे अने सवारे तने राजानो माणस सुथार मलशे. // 285 // त्यां ए प्रमाणे कहीने व्यंतर गयो एटले मंत्रीपुत्र सुमतिये सवारे आगल आगल प्राप्त थयेला म.. नुष्यने दीठो. // 286 // . तेनापि हि तथैवोक्ते, मंत्रोसूः शिल्पिन्निः सह ॥आयातः स्वपुरं तातस्तबुझ्या रंजितो नृशम्॥ तदा नगा चंपायां, नरेंद्रोऽनून्महाबलः // तस्य सागरमंत्रीदोः सुता कमललोचना // 289 // ते पुरुषे पण निश्चे तेज प्रमाणे कयुं एटले सुमति सुथारो सहित पोताने नगरे आव्यो, जेथी पिता मतिसार पण बहु प्रसन्न थयो. // 287 // ते वखते चंपानगरीमां महावल राजा राज्य करतो हतो, तेना सागर मंत्रीश्वरने कमललोचना नामनी/स्त्रो)हतो. // 288 // याचिता मतिसारण, सेयं सुमतिसूनवे / यावत्प्रदीयते तेन, तावद्धृत्यो जगाद तम् // 79 // आयातो मथुरापुर्याः, सचिवो बुद्धिसागरः॥स्वपुत्रजयचंज्ञर्थे, पुत्री याचितुमेति वः // 290 // मतिसारे पोताना सुमति पुत्रने माटे ते कन्यानु मागु करयुं अने सागरमंत्री तेनी साथे पोतानी पुत्रीनो सं| बंध जेटलामां करे छे तेटलामां सेवके आवीने सागरमंत्रीने कयु के, // 289 // " मथुरा नगरीथी आवेला बु| द्धिसागर प्रधान पोताना पुत्र जयचंद्रने अर्थे तमारो पुत्रीनु मागुं करवा आवे छे. // 290 // तदा तत्र समायातं, तं दृष्ट्वा सचिवाग्रणी // आसनादि प्रदानेनावर्जयामास गौरवम् // 29 // तेनापि हि तथैवोक्ते, सागरोऽथ व्यचिंतयत् // तुल्ययोर्वरयोरेषा, कस्मै कन्या प्रदीयते 29 // ते वखते त्यां आवता ते बुद्धिसागरने जोइ मंत्रोश्वर सागरे आसनादि आपवाथी तेमन बहु गौरव क* रयु. // 291 // तेणे तेज प्रमाणे कमललोचनानु मागुं करयुं एटले सागर विचार करवा लाग्यो के, बन्ने वर सरखा छे तो पछो कन्या कोने आपवी. 292 // k******KkkXXXXXXXXXXXXXYYYNVI Jun Gun Aarada Trust E