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________________ PPA Gunnsut MS . धर्मोपदेश सांभलीने पछी राजाए पोताने राज्य मलवानुं कारण पूच्छयु एटले मुनिये तेने पूर्वभव कह्यो के,' A " हस्तिनापुर नगरने विषे. धनदत्त शेठने हेमाभ नामनो पुत्र हतो, तेणे जिनेश्वरनी पूजा करे छते पुष्पन घर * बनाव्युं हतुं. // 253 // 254 // जिनपूजाप्रनावेण, प्राज्यं राज्यं तवान्नवत् // पुष्पगेहविशेषात्ते, पुष्पगेहं तदान्नवत् // 25 // नूपः पूर्वनवं श्रुत्वा, तदा जातिस्मरोऽत्नवत् // विशेषादार्हतं धर्म, प्रपेदे मुनिसंनिधौ // 26 // श्री जिनराजनी पूजाना प्रभावथी तने विस्तारवंत राज्य मल्युं छे. वली पुष्पघर करवाथी तने ते वखते पुष्पघर थयुं हतुं." // 255 // आ प्रमाणे राजा पूर्वभव सांभलीने ते वखते जातिस्मरणज्ञान पाम्यो; तेथी तेणे | मुनिनी पासे विशेषे अरिहंतनो धर्म आदरो. // 256 // मुनिं नत्वा गृहं गत्वा, दत्वा राज्यं स्वसूनवे // गृहित्वा संयम प्रांते. सौधर्मे त्रिदशोऽनवत् चिरं सुखान्यसो नुक्त्वा, देवलोकात्ततश्च्युतः॥ एकादशोयमचलो, नाम्ना वे तनयोऽनवत् // ___मुनिने नमस्कार करी घरे जइ पोताना पुत्रने राज्य आपी अने अंते चारित्र लइ ते लक्ष्मीचंद्र सौधर्म देवता थया. // 257 // त्यां ते दीर्घकाल सुधी सुख भोगवीने पछी देवलोकथी चवेलो ते आ अचल नामनो त्हारो अगीयारमो पुत्र थयो छे. // 258 // // इतिपुष्पगेह पूजायां हेमान्न कथा. // Jun Gun Aaradhat जिनाग्रे विहितः पुष्पप्रकरो येन नावतः॥ फलं तस्याथ वक्ष्यामः, श्रूयतां नविका जनाः॥ विदर्ता नगरी रम्या, दक्षिणस्या विनूषणम् ॥नरसिंहनृपस्तत्र, सुरामसमविक्रमः // 260 // हवे जेणे भावथो जिनेश्वरनी आगल पुष्पना समूह करयो छे, तेनु फल कहुंछं. ते हे भविकजनो ! तमे सभिलो. // 259 // दक्षिण दिशाना आमूपण रूप विदर्भा नामनी मनोहर नगरी छे. त्यां इंद्रना सरखो पराक्रमी नरसिंह नामनो राजा राज्य करतो हतो. . ..... ist
SR No.036439
Book TitleGunvarma Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Hathishang
PublisherMaganlal Hathishang
Publication Year1902
Total Pages242
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size300 MB
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