________________ चरित्र गुण PA // 7 // Gunratnasuti MS पछी शत्रुओए क्षणवारमा सघला लक्ष्मीचंद्रना सुभटोने त्रास पमाडया." निश्चे क्षत्रिय ते क्षत्रिय अने वली वणिक् ते वणिक्." // 245 // एम क्षत्रियो हसवा लाग्या एटले ते वखते लक्ष्मीचंद्र आकुल व्याकुल थवा वाला नागदत्त देवताए ते वात जाणी. // 246 // तत्कालं स समागत्य, मित्रसानिध्यहेतवे // संक्रम्य तबरीरे च, शमयामास वैरिणः॥३७॥ शृगालीव वनाधीशा बृष्ट्वा रे कुत्र यास्यथ // मान्यां मन्यध्वमस्याज्ञां,यदि वो जीवितं प्रियम्॥ पछी ते देवताए मित्रने सहाय करवा माटे तुरत त्यां आवी अने लक्ष्मीचंद्रना शरीरमा प्रवेश करीने शत्रु- ओने शमावी दोधा. / / 247 // " अरे ! सिंह पासेथी शियालनी पेठे नासीने तमे क्या जवाना छो ? जो तमने जीवित वहालुं होय तो आ लक्ष्मीचंद्रनी मान्य एवी आज्ञाने मानो." // 248 // इत्याकण्य नन्नोवाचं, पुष्पकेतुर्नृपस्तदा // प्रानृतेन समागत्य, लक्ष्मीचंइमतूतुषत् ॥श्वए॥ लक्ष्मीचंइस्ततस्तेन, साकं नागपुरं ययौ // झापयित्वोपकारं च, नागदत्तामरो दिवम् // 25 // एवी आकाशवाणी सांभलीने ते वखते पुष्पकेतु राजाए आवीने भेटथी लक्ष्मीचंद्रने संतोष पमाडयो.॥२४९॥ as पछी लक्ष्मीचंद्र पुष्पकेतु सहित नागपुरे गयो अने नागदत्त देवता पण पोताने करेला उपकारनी वात कहीने स्वर्गे गयो. // 25 // पुष्पकेतुं नृपं प्रेक्ष्य, सकुटुंबो महीपतिः॥ स राज्यं पालयामास, तत्र नागपुरे पुरे // 251 // स्तश्च सिंहतिलकज्ञानवन्मुनिपुंगवाः // तत्रायाताः स तान्नंत, जगाम सपरिचदः // 5 // पछी पुष्पकेतु राजाने रजा आपीने कुटुंब सहित ते लक्ष्मीचंद्र राजा ते नागपुरनगरने विषे राज्य करवा * लाग्यो. // 251 // एवामां सिंहतिलक नामना ज्ञानवंत मुनिश्रेष्ट ते नगरमां आव्या एटले परिवार सहित राजा तेमने वंदना करवा गयो. // 252 // श्रुत्वोपदेशं पप्रच, निजराज्यस्य कारणम् // मुनिः पूर्वनवं प्रोचे, नगरे हस्तिनापुरे // 53 // श्रेष्टिनो धनदत्तस्य, हेमानाख्यः सुतोऽन्नवत् // पूजायां क्रियमाणायां, पुष्पगेहमसौ व्यधात् // HIKXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX Jun Gun Aaradhak Trust 5 //