________________ P.P.A. Gunratnasuti MS लक्ष्माचनु तदुभाव्य छत पुत्रना पास जवाना इच्छावाला त लक्ष्मामागर शठ पुष्पकतु रामान बनता करी के, // 237 // हे स्वामिन् ! म्हारो पुत्र नागपुरने विषे राजा थयो छे, माटे तमारी आज्ञाथी कुटुंब सहित हुं तेनी पासे जाउं छु, / / 238 // हसित्त्वा नूपतिः पश्यन् कत्रियाणां मुखंजगौ // तुलादमो वणिपाणी, नाति खड्गः पुनर्नहि॥ अत्रैव तेन तिष्ट त्वं, सोऽप्यत्रैव समेष्यति // तज्ञज्यमहमादास्ये, राज्यं योग्ये विराजत॥२४॥ राजाए 'हसिने सामंतोनां मुख सामु जोता छता कडं."वणिक्ना हाथमां ताजवू शोभे छे. पंरतु खङ्ग शोभतुं | नथी. // 239 // ते कारणमाटे तुं अहिं ज रहे, ते पण अहिंज आवशे, तेना राज्यने हुं लइश; कारण के राज्य योग्य पुरुषने विषे शोभे छे." // 240 // इत्युक्त्वा तं विसृज्यासौ, पुष्यकेतुर्नृपस्ततः॥ सेनया कंपयन पृथ्वी, ययौ नागपुरं प्रति // 51 // लक्ष्मीचंइस्तमायांतं, श्रुत्वा सबलवाहनः॥ चचाल करवालेन, नूपयन दक्षिणं करम् // // एम कहीने लक्ष्मीसागरने रजा आपीने पछी ते पुष्पकेतु राजा सेनाथी पृथ्वीने कंपावतो छतो नागपुरे गयो. // 241 // तेने आवतो सांभलीने सेना तथा वाहनो सहित लक्ष्मीचंद्र पण तरवारथी जमणाथी शोभावतो छतो चाल्यो. // 242 // देशसंधौ समागत्य, लक्ष्मीचं३ स्थिते सति // पुष्पकेतुरपि प्राप्तःस्तत्र शत्रुत्वसादरः ॥श्व३॥ विधातुमदमे संध्यं, मंत्रिवर्गेध्योर्बलम् // डुढौके इंद्वयुझाय, शस्त्रमात्कारकारकम् // 4 // पोताना देशने सीमाडे आवीने लक्ष्मीचंद्रे पडाव करयो एटले शत्रुपणामां आदरवालो पुष्पकेतु राजा पण त्यां आव्यो. // 243 // त्यां प्रधानो संधी करवाने समर्थ थया नहि एटले शस्त्रोना झलझलाट करनारु बन्ने राजानुं सैन्य द्वंद्वयुद्ध करवाने समीपे आव्युं. // 244 // त्रासिता वैरिनिःसर्वे, लक्ष्मीचंनटाः कणात्॥ कृत्रियःक्षत्रियो नूनं, वणिगेव वणिक पुनः॥ एवं हसत्सु क्षत्रेषु, लक्ष्मीचं तदाकुले // नागदत्तामरोऽझासोदवधिज्ञानवानिदम् // 26 // Jun Gun Aaradha Trust