________________ P.PAr Gunratnasuti MS XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX सोऽवादीनगरं, नागपुर मेतन्मनोहरम् ॥अत्र देमंकरो राजा, वनूव कम कारक // 20 // तस्य लीलावती कांता, निरपत्यावःखिता॥ सखिन्निः सहितान्येयुः, नागानां नवनं गता॥ ते माणसे कह्यु, "आ मनोहर नागपुर नामर्नु नगर छे. अहिं कुशलकारी एवो क्षेमंकर नामनो राजा हतो. * // 207 // ते राजाने प्रजा न होवाने लीधे बहु दुःखी एवी लीलावती नामनी स्त्री हती. एक दिवस सखीयो सहित ते लीलावती नागमंदीरे गइ. // 20 // तयोपयाचितिं तेभ्यो, यदि पुत्रो नविष्यति // तदा दिनत्रयं पूजा, तत्पंचम्यां करिष्यते॥ण्णा जातोऽस्या दैवयोगेन, ततः पुत्रः प्रियंकरः // नागैर्दत्त इतिख्यातेर्नागदत्तानिधोऽनवत्॥१॥ त्यां तेणे नागोनी पासे याचना करी के, जो पुत्र थशे तो ते पंचमीने विषे पूजा करशे. // 209 / / पछी तेने दैवयोगथी पियंकर नामनो पुत्र थयो, परंतु नागोए आपेलो एवी ख्यातिथी ते नागदत्त एवा नामथो प्रसिद्ध थयो. // 31 // नागानां विहिता पूजा, लीलावत्या ततः परम् // वर्षे वर्षे पुरेऽमुष्मिन्, जायते सा दिनत्रयम् // ताते परासौ संजाते, नागदत्तोऽनवन्नृपः॥ सांप्रतं सा समायाता, वर्तते नागपंचमी // 212 // पछी लीलावतीये नागोनी पूजा करी. त्यार पछी आ नगरमां वर्षे वर्षे ते नागपूजा त्रण दिवस थाय छे. // 211 // पिता क्षेमंकर राजा मृत्यु पाम्या पछी नागदत्त राजा थयो छे. वली हवणां ते नागपंचमी पण आ*वेली छे. // 212 // . पारामिको यः पुष्पाणि, नागानां नवनं विना // अन्यत्र दास्यते तस्य, राजा दंमं करिष्यति॥ श्रेष्टी वा व्यवहारी वा, मंत्री वान्योऽपि यःक्वचित् // अपि देवार्चनं कर्तुं, कर्ता कुसुमसंग्रहम् // जे वागवान् नागना मंदीर विना वीजे पुष्पो आपशे, तेनो राजा दंड करशे. // 213 // शेठ, वेपारी, प्रधान __ अथवा वीजो जे कोइ पणं क्यारे देवपूजन करवाने पण पूष्पनो संग्रह करशे तो. // 21 // Jun Gun Aaradhak Trust