________________ गुणकृतं पुष्पगृहं येन, जिनेंदोस्तत्फलं वे // अस्त्यत्र नरतकेत्रे, पुरी पुष्पकरंडिनी // 1 // पुष्पकेतुर्महीपाल स्तस्य पुष्पावती प्रिया॥ तत्र श्रेष्टो गुणाधारो, लक्ष्मी सागर इत्यन्नः // 7 // ॥शा जेण जिनचंद्रनुं पुष्पगृह रचेलु छ, तनुं फल कहुं छु. आ भरतक्षेत्रने विषे पुष्पकरंडिनी नामनो नगरी छे ॥१एए॥ त्यां पुष्पकेतुं नामनी राजा हतो; तेने पुष्पावतो नामनो स्त्री छे. ते नगरीमां गुणोनो आधार एवो लक्षमासागर नामनो शेठ रहतो हतो. // 20 // तस्य लक्ष्मीवतोकांताकुदिकासार पंकजम् ॥हेमान्नात्मन्नवत्पुत्रो, लक्ष्मीचंति स्मृतः॥२-१ शिव तामसौ कन्यां, यौवने परिणायत // लीलया गमयामास, समयं सममेतया // 30 // ते शेठने लक्ष्मोवता स्त्रोना उदररुप तलावने विषे कमलरुप हेमाभनो जीव लक्ष्माचंद्र एवा नामनो पुत्र थयो. // 201 // ते पुत्र यौवनावस्थामां शिवकांता नामनी कन्याने परण्यो, अने तेनो साथे तेणे लीलामात्रमा बहु - समय काढी नाख्यो // 202 // मन्नमरऊकारं, किल सौरन्यसुंदरम् // विना पुष्पगृहं नासौ, निशं प्राप कदाचन // 203 // सोऽन्येयुः पितुरादेशात् , पुरं नागपुराह्वयम् // सार्थेन महता प्राप्तो, व्यवसाय विसारदः॥४॥ ए लक्ष्मीचंद्र भमता एवा भमराओना झंकार शब्दवाला अने सुगंधियो सुंदर एवा पुष्पना घर बिना क्यारे पण निद्रा पामता न होतोज // 203 / / वेपारमा कुशल एवो ते लक्ष्मीचंद्र कोइ वखते पितानी आज्ञाथी as नागपुर नामना नगरे म्होटा संघथो गयो // 20 // तत्रासौ नांडशालायां, स्थितो द्रव्य नपार्जयन् // क्रीणानश्च ददानश्च, क्रयाणं कृत्वा तान्यपि // * अन्यदासौ स्थितस्तत्र, नगरे पटहध्वनिम् // श्रुत्वा पप्रन तत्रत्यं, कंचित् किमिहकारणम् // 6 // . त्यां ते खरीद करतो, आपतो पोतानां वासणोनो पण वेपार करतो छतो धनने मेलवतो वामणोनो वखारने विषे रह्यो // 205 / / कोइ वखते वासणोनी वखारे रहेला ते लक्ष्मीचद्रे नगरमा पटहनो शब्द सांभली त्यांना कोइ माणसने पूछयु के, " ए शा कारणथी वागे छे ? " // 206 // XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX**XXX Jun Gun Aaradhak Trust