________________ P.P.A. Gunratnasuti MS तिलकसुंदरी थाआ." // 191 // पछी त बन्न मुनिने नमस्कार करान चंद्रचूड विद्याधरे उत्पन्न करला वमान * उपर बेठेलो ते कुलभूषण कुमार मिया अने मित्र सहित पोतानो नगरो प्रत्ये गयो. // 102 // * महोत्सवैर्गृहं गत्वा, पितृपादौ ननाम सः॥ समं तिलकसुंदर्या, मातुः क्रमयुगेऽपतत् // 193 // समये पृथिवीं तस्मै, दत्वा भूपः परासुताम् // प्राप निःपापधीरेष, तत्र राज्यमपालयत् 195 त्यां ते महोत्सवी घरे जइ पिताना पगमा नम्यो भने तिलक सुंदरी सहित माताना बन्ने पगमां पण न* म्यो. // 193 // पछी शत्रुजय राजा अवसरे ते कुलभूषण कुमारने राज्य आपो मृत्यु पाम्मो एटले निर्मलबु द्धिवालो ते कुलभूषण राज्य करवा लाग्यो. // 194 // * शानिनस्तत्र संप्राप्ताः, श्रीधर्मव्रत सूरपः॥ नूपः सपरिवारोऽपि, तान् गत्वा प्रणनाम सः॥ नपदेशमयं शांतरसोपेतं सुधामयम् // पोत्वा वैराग्यमापनोऽनवत्संयमसादरः // 196 // .. कोइ बखते त्यां ज्ञानवंत एवा श्री धर्मव्रतमूरि आव्या एटले परिवार सहित ते कुलभूषण राजाए त्यां जइ तेमने वंदना करी // 195 // त्यां ते शांत रसवाला अमृतरुप उपदेशने सांभलो वैराग्य पाम्यो छतो संयम लेवाने आदरवंत थयो // 16 // मुनि नत्वा गृहं गत्वा, दत्वा राज्यं स्वसूनवे // प्रपाल्य संयमं प्रांते, सौधर्मे त्रिदशोऽन्नवत् // चिरं सुखान्य सौ नुक्त्वा, देवलोकात्ततश्चुतः॥ तनयस्तव संजातो, दशमोऽयं दशाननः॥१९८ पछा मुनिने नमस्कार करी घरे जइ पोताना पुत्रने राज्य आपो अने अंते संयम पालाने ते कुलभूषण राजा * सौधर्म देवलोकने विषे देवता थयो // 17 // (श्री नरवर्मा केवळी गुणवर्मा राजाने कहे छे के ) त्यां ते दोIAS घंकाल सुधी सुख भोगवीने पछी देवलोकथी चवीने त्हारो आ दशमो दशानन नामे पुत्र थयो छे // 1 // // इति आभरण पूजायां कनकान कथा // Jun Gun Aaradhak Trust 000000 10000 ---