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________________ गुण PPA Gunnatasu MS ___ अमे बन्नै जणा पण अहिं इच्छा प्रमाणे विरागपणाथी रह्या छता तेमज शिलातल उपर बेठा छता कष्टविना रह्या छीथे. // 167 // कुमारे फरी मुनिने कह्यु. " तमाहं वचन वृथा नथी; परंतु हुं अहिं छु अने ते राजकन्या // 7 // खां छे. तो अमारो मेलाप शी रांते थशे ?" // 168 // मुनिरूचेऽत्र का चिंता, पुण्यमेव विचिंतय // पुण्यस्यैव प्रनावेण, चिंतिताः स्युर्मनोरथाः 169 मुनीनां सेवया नइ, पुण्याचिंतितमाप्यते // इति तवचसा तत्र, कुमारो निश्चलः स्थितः१७० मुनिय कह्यु. " एमां शो चिंता ? पुण्यनो ज विचार कर. कारण पुण्यना प्रभावथी ज चिंतवेला मनोरथो * थाय छे // 169 // हे भद्र ! मुनिनो सेवावडे उत्पन्न थयेला पुण्यथा इच्छित मेलबाय छे. " एवा तेमना वच नी कुमार त्यां निश्चल थईने रह्या. // 17 // * तृतोये ध्यानतस्तस्य, चारणस्य मुनेर्दिने // नत्पेदे केवलज्ञानं, देवास्तत्र समागताः // 11 // कुतश्चित् खेचरात्तातवृत्तं ज्ञात्वा तदंगजः॥ चंचूडस्तदा तातं. नंतुमुत्कंठितोऽन्नवत् // 17 // पछी ते रत्नचूड चारण मुनिने ध्यानथा त्राजे दिवसे कवलज्ञान उत्पन्न थयु. जेथो त्यां देवताओ आव्या. कोइ विद्याधर पासेयो पिताना वृत्तांतने जाणा तेमनो पुत्र चंद्रचूह ते वखते पिताने वंदना करवाने उत्साहवंत थयो. तं ज्ञात्वा तत्र गळतं, बन्नाषेऽमरसुंदरो // साथै नयसि चेन्मां त्वं, तदा प्रोता नवाम्यहम् 173 ततो रम्यं करिष्यामोत्युक्ते प्रीतः स खेचरः॥ तया सह विमाने नाययौ केलिप्सन्निधौ // 174 तेने त्यां जतो जाणा अमरसुंदरोये कह्यु. " जो तमे मने साथे लई जाओ तो हुँ खुशो थाउं // 173 // पछी तमने खुशो करोश." एम कयुं एटले ते चंद्रचूड विद्याधर प्रसन्न थयो, तेथा ते अमरसुंदरोने साथे लइ वैपान उपर बेसो केवलो पासे आव्यो. // 174 // * तां स्फुरत्तिलकं नाले, बिभ्राणां वीक्ष्य नूपन्नः // तत्कणं लक्रयामास, पुरापि स्वप्नवीक्षिताम्॥ तत्कालजातालंकारनासुरं वोदय सापि तम् // स्वप्नदृष्टं विचित्य ज्ञग् ,हर्षादुत्पुलकानवत् // X***XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX Jun Gun Aaradhak Trust 7 //
SR No.036439
Book TitleGunvarma Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Hathishang
PublisherMaganlal Hathishang
Publication Year1902
Total Pages242
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size300 MB
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