________________ गए चरित्र. // 6 // PIP.AC.Gunjatnasuri M.S. .. बन्ने कुमारोए कह्यु. " हे मुनि ! तमे पूर्वे अमने क्याइ दीठा हता ? " बीजा साधुओए कह्यु के, " ए मुनिने ज्ञान उदय थयु छ. // 137 // माटे ए मुनि तमारा वृत्तांतने अवधिज्ञानथी जाणे छे. " पछी राजकुमारे तेमने कह्यु के, " हे मुनि ! म्हारुं चिंतवेलुं कार्य थशे ?" // 138 / / नविष्यति तृतीयेऽन्हि, साधुनेति प्रजल्पिते // कुमारोऽवक् कुतस्तेऽनूराग्यात्संयमोद्यमः // सोऽवादीन्मालवे देशेऽवंतीनाममहापुरी // अवंतिसेनो नूपालस्तनार्या सुरसुंदरी // 10 // .. "आजथी त्रीजे दीवसे थशे." एम साधुए कह्यं एटले राजकुमारे कह्यं के," तमने वैराग्यथी संयम ले वानो उद्यम क्याथीं थयो ?" // 139 // मुनिये कहूं. "मालवा देशमा अवंती ( उज्जण ) नामनी म्होटी नगरी A छे, त्यां अवंतिसेन राजा राज्य करें छे. तेने सुरसुंदरी नामनी स्त्री छे. // 140 // सुतोऽस्यामरदत्तोऽनूत, पुत्री चामरसुंदरी // सा संजझे कलाकेलि कलाकेलिकलालया॥११॥ आ जन्मतोऽपि संजात मुद्दामद्युतिन्नासुरम् // ललाटेतिलकं तस्या, दिदीपे दीप्रदोपवत् // 142 __ए अवंतिसेन राजाने अमरदत्त नामनो पुत्र अने अमर सुंदरी नामनो पुत्री हती. ते पुत्रो कलाक्रिडार्नु पात्र थइ. // 141 // जन्मथी आरंभीने ते पुत्रीना कपालमा उत्पन्न थयेलुं अने उत्कट कांतिथी देदीप्यमान एवं * तिलक झहलहता दीवानी पेठे शोभतुं हतुं. // 14 // योग्यं वरं वरीष्यामि, विचिंत्येति विचारवित् // अनवद्यामियं विद्या, सिषवे प्रीतिकारिणीम् // " हुं योग्य वरने वरीश." एम विचार करीने विचारने जाणनारी ते अमरसुंदरी राजपुत्रीये प्रीतिकारी * अनवद्या (उत्तम ) एवी विद्यादेवीनी सेवा करवा लागी. // 143 // सा विद्यादेवता स्वप्ने, तां प्रति प्रीतिदायकम् // हारकुंडलकौटीरैः, स्वन्नावोत्यैरलंकृतम् 154 लसल्लावल्यलीलाढयं,नरं निरूपमाकृति॥मां वृणीष्वेति जल्पंतं, दर्शयामास कंचनम्॥युग्मम् .. पछी ते विद्या देवताये ते सुरसुंदरी राजकन्याने स्वप्नामां प्रीति करनारा, स्वभावथो उत्पन्न थयेला हार, Jun Gun Aaradhak Trust