________________ गुण चरित्र, P.PA. Gunratnasuti MS जाने कह्यु के, " हे राजन् ! भूतानंद नामनो योगी आपना दर्शननी ईच्छा करे छे." // 61 // राजाये आज्ञा आपवाथी प्रतिहारीये तुरत सभामां आणेला योगीये राजाने आदरथी आशीर्वाद आपीने कह्यु. // 62 // " में मंत्रस्य वार वर्ष सुधी पूर्व सेवा करेली छे, हवे त्हारा सांनिध्यथी साधु छु; माटे तुं मने सहाय्य करनारो था. A // 63 // आजे चौदशनी रात्रीये निश्चय श्मसानमा जई म्हारे मंत्र साधवो छे, माटे तुं उपकार करवामां तत्पर था." राजाये ते कबुल करयु. पछी रात्रीये योगी तैयार थईने आव्यो एटले राजा पण श्मशानमां गयो. // 65 // राजादिष्टेन तेनाशु, समानीतःसन्नांतरम् // निगाद नृपं योगी, दैत्वाशीदिमादरात्॥६॥ मंत्रस्य पूर्वसेवा हि, कृता हादशवार्षिकी // साधयाय॑थ सांनिध्यात्तव साहायिको नेव॥६३ रात्रावेद्य चतर्दश्यामवश्यं प्रेतमंदिरे // गत्वा मंत्रो मया साध्य, नपारपरो नैव // 6 // मित्युक्ते नृपेणाथै,सळीनूय समागते॥ योगिन्येषो ऽपि यामिन्यां,जगाम् प्रेतमंदिरम्॥६५ विधाय ममलं योगी,पारेने मंत्रसाधनम् ॥करवालकरस्तस्थौ,नृपः पश्यन् दिशोऽखिलाः॥६६ जाते कणेत निर्धाते, प्रत्येकः कोऽपि'चेटकः॥ बन्नव जीर्षणाकरां, कीकां कंपयत् करे॥६॥ हसेतो नृत्यतस्तस्य, फेकारं मुंचतो मखे // चकन करवालेन, कर्जीकां साहसी नॅपः॥६॥ अहंतुष्टोऽस्मितुष्टोऽस्मी त्यूचाने चेटकेपः॥जंगौयोगिने "सिदिच,देहि क्लेशकृतेऽन्वहम्॥ * त्यां योगी मंडल करी मंत्र साधन करवा लाग्यो अने तरवार छे हाथमा जेने एवो राजा सर्व दिशाओ जोतो छतो उभो रह्यो. // 66 // क्षणमात्र थया पडी म्होटो शब्द थये छते कोई पण भूत हाथमां भयंकर आकारवाली कातरने कंपावतो छतो प्रत्यक्ष थयो.॥६७॥ हसता अने नृत्य करता वली मुखे श्वास खावाने लीध मोटा शब्द करता ते भूतनी कातर साहसवंत राजाये पोतानी तरवारथी कापी नाखी. // 68 // पछी “हुं प्रसन्न थयो छु प्रसन्न थयो छु." एम भूते को छते राजाये का के, “निरंतर क्लेशनो नाश करवाने अर्थ आ योगीने सिद्धि आप.॥६९॥ "एतो सिद्ध थयु पण तुं पोताना स्वार्थने माग." एम भुते को छते राजाये कह्यु के, " मने रत्ना Jun Gun Aaradhak Trust HIT RBARUNeupane