________________ PP.AC.Gunratnasuri M.S. णवो नामनो राजा छे, ते आ राजकन्यानो पति थाओ. कारण के, ते दोषनो निग्रह करशे. // 53 // पछी निमित्तियाने रजा आपीने राजाये ते सर्व पुत्रीने कहीने तत्काल स्वयंवर कराव्यो. // 54 // ( सारसी सखी गणवर्मा राजकमारने कहे छे के,) हे राजकमार! ए कारण माटे ते रत्नावली राजकुमारी तमारी प्रार्थना करे के, “निश्चे हुं तमनेज वरीश; परंतु त्यां सुधी म्हारे ब्रह्मचर्यव्रत पालवू के, ज्यां सुधी हुं संकटथी मुकाउं नहि." // 55 // राजकुमारे ते वात कवुल करी एटले हर्पितमनवाली अने प्रेमयुक्तह्रदयवाली सारसीये ते सर्व निमित्त विसृज्यार्थ, तसर्वं पृथिवीपतिः॥ सुंताया हापयित्वाशु, स्वयंवर मोरयत् 54 अतस्त्वां प्रार्थयत्येषा,त्वमेव हि वरिष्यसे॥ ब्रह्म पौख्यं मैया तावद्यावन्मौदो नै संकटात् 55 नमित्युक्ते नरेंद्रेण, सारसी हृष्टमानसा // रत्नावल्याः पुरः प्रोह, तत्सर्वं वत्सलाशया 56 अंगे राजकुले नामांकितसिंहासनस्थिते // प्राप्ता स्वयंवरं मालानारिणी राजकन्यका // 57 वर्णितेऽय प्रतीहार्या, सकले राजमंझले // गुणवर्मा तया वत्रे, जातो जयजयारवः // 5 // पाणिग्रहोत्सवे जाते, शूरेण बहु मानिताः॥ विसृष्टा नूनुजःसर्वे, ययुनिजनिजं पुरम् पण मासं संगौरवःस्थित्वा, गुणवाप्ययाचलत्॥ रत्नावल्या समं प्राप्तः, पुरं प्रौढमहोत्सवैः 60 तं मध्यसंसदासीनं. प्रेतिहरोऽन्येदा जैगौ // जूतानंदानिधो योगी, नवंतं इष्टुमि,ति॥६१॥ , वात रत्नावलीनी आगल कही. // 16 // वीजे दिवस सवारे सर्व राजाओ पोत पोताना नामवाला सिंहासन उपर वेठे छते मालाओने धारण करनारी राजकुमारी स्वयंवरमंडप प्रत्ये आवी. // 57 // पछी प्रतिहारिणीये सर्व राजमंडलनुं वर्णन करे छते रत्नावली राजकुमारीये गुणवर्माने वर यो; जेथी जयजय शब्द थवा लाग्यो.॥५८॥ विवाह उत्सव पूरो थया पछी शूर राजाये बहु सत्कार करी रजा आपेला सर्वे राजाओपोतपोताना नगरे गया // 59 // पछी गौरव सहित गुणवर्मा पण एक मास सां रहीने रत्नावली सहित चाली निकल्यो अने म्होटा महोत्सवोथी पोताना नगर प्रत्ये आवी पहोच्यो.॥ 60 // एक दिवस प्रतिहारीये सभामध्ये वेठेला Jun Gun Aaradhak Trust