________________ गुण ***** श्रुत्वोपदेशं पप्रल, देवी कुत्र गता तदा // सूरिः प्रोवाच मातास्याः कृत्वा पुण्यं मृता सती // चरित्र जाता व्यंतरेऽस्य, वल्लन्ना प्रियदर्शना // आयाता च सुतास्नेहात्, पतंती तां ददर्श सा 110 व त्यां राजाए उपदेश सांभलोने पछी मूरिने पूछयु के, " ते वखते देवी ( सरस्वती ) क्यां गइ हती ?" - सूरिये कह्यु के, "एनी माता पुण्यकार्य करीने मृत्यु पामी छती. // 109 ॥व्यंतरना इंद्रनो प्रियदर्शना नामनो स्त्री थइ छे अने पुत्रीना स्नेहथी आवेलो तेणे गोखथी पडती एवी पुत्रीने दोठो. // 110 // ग्रहित्वा पाणिपद्मेन, पतितां पृथिवीतले // तां सुखं स्थापयामास, तवागमननेऽमुचत् // 111 // * कश्चित्पप्रच किं मृास्तिष्टंति सुरवेश्मनि // मूरिः प्रोवाच गंगायाः, सदने नरतः स्थितः // . पृथ्वी उपर पडेली ते सरस्वतीने इस्तकमलथी लइ सुखे पोताने त्यां राखी अने तुं आव्यो एटले तेने अहिं / मूकी दोशी.” // 111 ।पछी कोइये पूछयुं के, “माणसो देवताना घरे शुं रहे छे ? " सूरिये कह्यु के, "गंगा त्रि देवीना घरने विषे भरत राजा रह्यो छे. // 112 // स्थाता च चमरेंद्रस्य , नुवने चेटको नृपः // अथ पूर्वनवं वदये, त्वदीयं शृणु नूपते॥११३॥ श्रेष्टिनो धनदत्तस्य, नगरे हस्तिनापुरे // पुत्रः कनकनामासीत् , ध्वजपूजा कृता मुना // 11 // | वली चेडा राजा चमरेंद्रना घरे रह्यो छे. हवे हे राजन् ! त्हारो पूर्व भव कहुंछु ते तुं सांभल. // 13 // * तुं पूर्वभवे हस्तिनापुर नगरमां धनदत्त शेठने कनक नामनो पुत्र हतो, ते भवमां तेणे ध्वजपूजा करी छे. / / 114 // राज्यं तव ध्वजार्चातः, संमेतेऽष्टापदेऽपि च // चक्रे महाध्वजारोपं, नवान् विद्याध्यान्वितः॥ नृपः पूर्वनवं श्रुत्वा, तदा जातिस्मरोऽनवत् // विशेषादाईतं धर्म, प्रपेदे मुनिसंनिधौ // 16 // ए ध्वजाना पूजनथी तने राज्य प्राप्त थयुं छे. वली आ भवमा संमेतशिखर उपर 'अने अष्टापद उपर वे प्रकारनी विद्यावाला ते महाध्वजा चडावी छे. // 115 // राजा पोतानो पूर्वभव सांभलो ते बखते जातिस्मरण PL ज्ञान, पाम्यो. तेथी तेणे मुनिनी पासे विशेष अरिहंतनो धर्म आदरयो. Jun Gun Aaradhak Trust