________________ PPA Gun MS KXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX गवादयात्याततायस्मात्तत एव समागता / / स्वामिना दृश्यत स्वामिन् सारगारजापुरा 19 हर्षात्पश्यति नूपाले, राझी तत्र समागता // नशसने निषणा च, कस्य प्रीतिं चकार न 102 “हे स्वामिन् ! उत्तम शणगारथो देदीप्यमान एवां महाराणी जे गोखथो पडयां हतां त्यांीज आवतांदेखाय छे."॥१०१॥ पछी राजा हर्षथी जोतो हतो एटलामां त्यां आवेली अने भद्रासन उपर बेठेली राणीये कोने मीति न करी ? अर्थात् सर्वने आनंद पमाडया. // 102 // अनौचित्यं तदा ज्ञात्वा, संकथानां परस्परम् // नूपः प्रियान्वितो यात्राकरणाय समुद्यतः 103 र संघेन सहितो नूपः, पूर्व संमेतपर्वते // सप्रियः स्नात्रसंघा ध्वजारोपादि स व्यधात् 104 ते वखते परस्पर एक वीजानी वार्तानु अचिंत्यपणुं जाणीने प्रियासहित गरुडध्वज राजा यात्रा करवा माटे उद्यमवंत थयो. // 103 // संघ सहित प्रियायुक्त ते गरुडध्वज राजाए प्रथम समेतशिखर पर्वत उपर स्नात्र, I संघर्नु वात्सल्य अने धजा चडाववा विगेरे सत्कार्य करयुं. // 104 // ध्वजारोपं ततः कुर्वन् , विद्याध्यबलान्वितः // पटे संघं समारोप्याष्टापदाइिंगतो नृपः॥१५ तत्र पूजां प्रत्नोः कृत्वा, बध्वा तं च महाध्वजम् // मनोरथं प्रपूर्यासौ, पुनः संमेतमाययौ // पछी ध्वजा चडावीने वे प्रकारनी विद्याना बलवालो ते गरुडध्वज राजा पेट उपर संघने वेसारी अष्टापद पर्वत उपर गयो. // 105 // त्यां प्रभुनी पूजा करी अने ते महाधजाने बांधीने पोतानो मनोरथ पूर्ण करीने ते राजा फरी संमेतशिखर आव्यो. // 106 / / . संघेन सहितस्तस्मानिजं प्राप्य पुरं नृपः॥ महोत्सवैः प्रविश्यात्र, निजं राज्यमपालयत् 107 / तदा देवेंसिंहाख्याः सुरयोऽत्र समागताः // तानंतुं नृपतिः प्राप, सप्रियः पावनं वनम् 17 त्यांथी संघसहित गरुडध्वज राजा पोताना इंद्रपुर नगरे आवी अने ते नगरमा महोत्मबोथी प्रवेश करीने पोताना राज्यनुं पालन करवा लाग्यो. // 17 // ते वखते ए नगरमां देवेंद्रसिंह नामना मूरि आव्या तेमने वंदना करवा माटे प्रियासहित राजा गरुडध्वज पवित्र एवा उद्यानपत्ये गयो.॥ 108 // Jun Gun Aaradha Trust