________________ P.PA. Gunatnasuti MS विलोक्य तांस्ततो वाला, पूर्वश्लोकं पपाठ सा ॥तं श्रुत्वा जझिरे तेच, निराशास्तत्करग्रहे॥३॥ सर्वकार्याणि यः कुर्यान्मक्तानि निरंतरम्॥वरः स मेऽन्यथा नास्ति विवाहेन प्रयोजनम् // 40 // पछी ते राजाओने जोइने ते राजकन्या सरस्वतोये पूर्वनो (सर्व कार्याणि ए ) श्लोक कह्यो. तेने सांभलीने * ते सर्वे राजाओ तेनी साथे विवाह करवाने निराश थया. // 39 // जे पुरुष म्हारां कहेलां सर्व कार्यो निरंतर * करे तेज म्हारो पति थाओ. ए विना म्हारे विवाहथी काइ प्रयोजन नथी. // 4 // प्रतिनूपमिमं श्लोकं, पती प्रचचाल सा // न कोऽपि तस्या मालार्थी, बनूव क्षितिनायकः॥ ततस्तस्याः पिता किंचिन्मचिंतयत् हहा विधे॥ अस्या गुणनिर्दोषः कृतः कस्मात्कदाग्रहः॥ ____ सरस्वती ए श्लोक दरेक राजा पासे बोलती बोलती चाली; परंतु कोइपण राजा तेनी मालानो अर्थी थयो नहि. // 41 // पछी तेनो पिता कांइक मनमां विचार करवा लाग्यो के, अरे विधि तें आ गुणसमुद्र सरखो पूत्रोनो कदाग्रहरूपी दोष केम प्रगट करयो ? // 42 // (मालिनी वृत्तम् ) शशिनि खलु कलंक कंटकाः पद्मनाले, जलधिजलमपेयं पंडिते निर्धनत्वम् // दचितजनवियोगो उर्जगत्वं सुरूपे, धनिषु च कृपणत्वं रत्नदोषी कृतांतः॥४३॥ ___निश्चे चंद्रने विषे कलंक, कमलनालने विषे कांटा, समुद्रनुं नहि पीवा योग्य ( खारं ) पाणी, पंडितने विषे / 1 निर्धनपणुं वहाला माणसोनो वियोग, सारा रूपवालाने विपे दुर्भाग्यपणुं अने धनवंतने विष कृपणपणुं होवाने * लीधे कालज रत्ननो दूपित करनारो छे. // 43 // स्वयंवरप्रयासो मे,विफलः सकलोऽन्नवत् // कथं यास्यति नूपाला, बालां परिणयं विना॥४४ ___म्हारा सर्व स्वयंवरनो प्रयास निष्फल थयो. तेमज आ राजाओ पण राजकुमारीने परण्या विना शी रीते पाछा जशे" !!! // 44 // Jun Gun Aaradhat Trust