________________ P.P.AC.Gunratnasun M.S. मार्गे ग्रामाकरगाल्लंघमानस्य नूपतेः॥ अन्येयुः सरितस्तीरे स्थितं सैन्यमदैन्यन्नाक् // 33 | अहात्रे नृपस्तत्र, कस्यचित् करुणस्वरम् // श्रुत्वाचलत् करालेन, करवालेन संयुतः // 4 // . रस्तामां गाम, खाण देशने उल्लंघन करता एवा ते राजानो परिश्रमरहित एवा सैन्ये एक दिवस नदीने A कांठे पडाव करयो. // 23 // त्यां ते गरुडध्वज राजाए आधि रात्रीने विषे कोइनो करुणस्वर सांभल्यो; तेथी ते भयंकर तरवार लइ चाली निकल्यो. // 24 // गछन् शब्दानुसारेण, श्मशाने क्वापि नूपतिः॥ कंदतं नरमशक्षीत् , कदाक्षिप्तं हि राक्षसा // करवालं करे कृत्वा, नूपालः स्माह राक्षसम् // क्रंदतं कातरं मुंच, मामेहि यदि शक्तता॥६। ____ शब्दना अनुमाने जता एवा राजाए कोइपण पशानने विषे राक्षसे काखमा घालेला अने रोता एवा पुरु पने दीठो. // 25 // राजाए तरवार हाथमां लइ राक्षसने कह्यु. " तुं ए रोता एवा कायर पुरुषने मूकी दे 'अ2 थवा जो शक्ति होयतो म्हारा सामो आव्य. // 26 // रहः प्रोचेऽमुना मंत्रो, मदीयो जपितश्चिरम् ॥प्रत्यक्षतां गतेना सौ, नृमासं याचितो मया॥ न दत्तेऽसाविति क्रुधः,कातरं पीडयाम्यमुम् ॥न विद्यते तव स्वार्थो, व्रज मार्गे समाधिना॥ राक्षसे कह्यु. " आ पुरुषे म्हारो मंत्र बहु काल सुधी जप्यो छे तेथी प्रत्यक्षपणाने पामेला में तेनो पासे मनुष्यनुं मांस माग्युं छे. // 27 // परंतु ते आपतो नथी, माटे क्रोध पामेलो हुं आ कायर पुरुपने पीडा करुंछु. हे राजन् ! अहिं त्हारे स्वार्थ नथी; माटे तुं समाधिथी त्हारे मार्गे चाल्यो जा. // 28 // पलादंति नूपालः, प्रोवाच मयि पालके // मास्त्वन्यायो न युज्यते, तस्मात्त्वं कातरं त्यज // शिक्षा नोचेत् प्रदास्यामि, खजेन कणमात्रतः // इत्युक्त्वा पुगे नूपो, दधावे राक्षसंप्रति॥३० राजाए राक्षमने कह्यु. “हुं पालक छतां एनो अन्याय करता योग्य नथी, माटे तुं कायरपणुं त्यजी दे. 29 // जो तुं एने नहि त्यजी दे तो हुं क्षणवारमा तरवाडवडे तने शिक्षा आपीश." एम कहीने असह्य एवो ते राजा राक्षस सामो दोडयो. // 30 // Jun Gun Aaradhak Trust