________________ गुणा P.P.AC.Gunratnasun M.S. नवत्यपिवरः कोऽपि, तड्पं वीक्ष्य रंजितः // अन्वंकारीनटीरुपात्परिणीता सुबंधना // 15 चरित्र ततः स्वयंवरस्तस्याः, कार्यते कार्यकोविदः। तत्प्रतिज्ञावचः श्रुत्वा, यो वृणोति वृणोतु सः॥ ___जो कोइपण वर तेना रूपने जोइने प्रसन्न थाय तो अन्वकारीभरी रूपथी ते कन्या परणशे. // 15 // माटे तेनो स्वयंवर करावीये. तेमां ते प्रतिज्ञाना वचन सांभली कार्यनो जाण एवो जे पुरुष वरे ते वरो // 16 // लोकोनिरुत्तरैरेवं, नूयते नूयसाथ किम् // इति मंत्रिगिरा भूपोऽचीकरत स्वयंवरः // 17 // आहुता भूभुजः सर्वे, दूतान् प्रेष्य प्रथक् प्रथक्॥तबंतोऽपि संप्राप्ता वीक्ष्यते तत्स्वयंवरे // बली लोकमां आ प्रमाणे निरूत्तरवडे घणो वखत | रही शकाय ?" आवी मंत्रीनी वाणीथीं शंकर राजाए स्वयंवर करयो. // 17 // तेमां जूदा जूदा दूतो मोकली सर्व राजाओने बोलाव्या छै; माटे ते स्वयंवरमा तमारी पण वाट जोवाय छे. // 18 // इतितद्गिरमाकण्य, सस्मितं नूपतिर्जगौ // अस्मान्निरस्मिन्नर्थेऽम्थितैराखुत्तरं नवेत् // 15 // दूतः प्रोवाच दुःसाध्य, चिंतयित्वात्र संस्थिता॥ यथा यूयं तथान्येऽपि, कथं नावि स्वयंवरः॥ दूतनी एवो वाणो सांभली हाश्यथी राजा देवचंद्रे कडं के, " आ प्रयोजनमा तो अहिं रहेला एवाय पण अमारावडे उत्तर कराय छे. अर्थात् कन्याना कहेवा प्रमाणे अमाराथी करी शकाय तेम नथो, जेथो अमारे त्यां न आवq ते वधारे सारुं छे. // 19 // दूते कह्यु. “महाराज! ए कार्य थर्बु अशक्य छे एम विचारी जेवी a रीते आप अहिं रहेशो तेवी रीते बीजा राजाओ पण पोते पोताने त्यां रहेशे तो पछी स्वयंवर शी रीते थशे. - तस्याः पाणिग्रहे कोऽपि, बलात्कारो न विद्यते // मिलंतु नूनुजः सर्वे, रुचिर्यस्य करोतु सः॥ *इत्युक्त्वा सज्जयित्वा तं, दूतोऽन्यत्र जगाम सः॥ गरुमध्वजन्नूपालश्च चालाभि स्वयंवरम् // बली ते. राजकन्याना पाणिग्रहणने विषे कोइपण बलात्कार नथी. सर्वे राजाओ एकठा थाओ; परंतु जेनी मरजी होय ते तेनी साथे विवाह करो. // 21 // एम कहोने ते देवचंद्र राजाने तैयार करी ते दूत वीजा नगर * प्रत्ये गयो. गरुडध्वज राजा पण स्वयंवर सन्मख चाल्यो. // 22 // .. * णा