________________ P.P.A. Gunanasuti MS तत्कुपिद्मिनोहंसी, कन्या नाम्ना सरस्वती // सरस्वतीव संजातसर्वशास्त्रार्थसंग्रहा // 7 // पाणिग्रहमकुर्वाणा, तारतारुण्यशालिनी // प्रोचे सदेव्या स्त्रोत्संगे, निवेश्य निजनंदनी॥॥ ते राजाने शिवचंद्राना उदररूप कमलीनीने विषे हंसी समान अने सर्व शास्त्रार्थनो अभ्यास करवाथी जाणे सरस्वती पोतेज होयनी? एवी सरस्वती नामनी पुत्री छे. // 7 ॥कोइ वखते शंकर राजा शिवचंद्रा प्रिया सहित, विवाह नहि करती अने मनोहर युवावस्थाथी सुशोभित बनेली पोतानी पुत्रीने पोताना खोलामा बेसारीने पूछवा लाग्यो. // 8 // न मन्यसे कुतो हेतोः, पाणिग्रहणमंगजे॥ यञ्चिते वर्तते तन्मे, प्रकाशय सरस्वति ॥ए // सा प्रोचे किं कुतेनापि, पाणिग्रहणकर्मणा // कांता यदक्ति तत्कार्य, नर्त्तान कुरुते यदि // __ हे पुत्री ! तुं विवाह करवो शा माटे कवुल करती नथी? हे सरस्वती! त्हारा चित्तमां जे होय ते मने कहे. पुत्रीये कयु. “हे तात ! स्त्री जे कार्य कहे ते कार्य जो पति न करे तो विवाह कार्य करवाथीपण शुं ? // 10 // सर्वकार्याणि यः कुर्यान्मउक्तानि निरंतरम् // वरःस मेऽन्यथा नास्ति, विवाहेन प्रयोजनम्। इत्युक्त्वा सा समुत्याय,जनन्युत्संगतो गता॥ माता संजातसंतापा, तत्मापाय निवेदयत् // जे पुरुष म्हारां कहेला सर्व कार्यों निरंतर करे तेज म्हारो पति थाओ. ए विना म्हारे विवाहथी कोड : प्रयोजन नथी. // 11 // एम कहीने ते कन्या उठीने माताना खोलामा गइ; तेथी जेने अधिक संताप उत्पन्न थयो हतो एवी शिवचंद्राये राजाने कह्यु के. // 12 // अबालत्वेऽपि बालत्वं, तस्याः किमतिचिंतयन् // नृपो मंत्रिणमाकार्य, तत्स्वरूपं स्वयं जगौ॥१३ स प्राह पुरुषः कोऽपि, प्रायस्तादृग् न विद्यते॥कुर्यात्सर्वाणि कार्याणि, नारीणामेव वाक्ष्यतः॥ ___" तेनुं आ यौवनपणामां पण बालपणुं शुं ?" अत्यंत विचार करता एवा राजाए पण प्रधानने बोलावी पोते ते सर्व वात कही. // 13 // प्रधाने कयु. " घणुं करीने कोइपण तेवो पुरुष नथी के, जे वचनमात्रथी a स्त्रीयोनां सर्व कार्यों करे.॥ 14 // Esk2K2R5Raik Jun Gun Aaradhak Trust