________________ गुण PPAC Gunnatasudi MS *श्रुत्वोपदेशं पैप्रल, मैत्रिणो नाग्यकारणम् // मुनिः पूर्वनवं पोचे, नगरे हँस्तिनापुरे // 331 // चरित्र. श्रेष्ठिनो धनदत्तस्य, धनेश्वरसुतोलवत् // जिनपूजामुना चक्रे, बांधवैः सह संमदात् // 33 // राजाए उपदश सांभलीने पछी मंत्रोना भाग्य कारण पूछयु एटले मुनिये मंत्रोनो पूर्वभव कह्यो के, "हस्तिनापुर नगरने विषे धनदत्त शेठनो धनेश्वर नामनो पुत्र थयो. ए धनेश्वरे पोताना बंधुओ सहित हर्षथी जिन पूजा करी // 331 // 332 // कर्पूरार्चा विशेषेण, कर्पूरो विर्षनश्मनी // जातः क्रमेण राज्यं चं, प्राज्यमस्य नविष्यति // मंत्री पूर्वनवं श्रुत्वा, जातिस्मरण भाप सः // विशेषादर्हितं धर्म, प्रपेदे मुनिसंनिधौ // 335 विशेषे तेणे कपूरथी पूजा करी के, जेथी विष अने भश्म कपूर थइ गया. वली ए रत्नाकरने अनुक्रमे 2 रूद्धिवंत राज्य प्राप्त थशे." // 333 // पछी ते मंत्री पोतानो पूर्वभव सांभली जातिस्मरणज्ञान पाम्यो, IA तेथी तेणे विशेषे मुनि पासे अरिहंत धर्म आदरयोः // 33 // . मुनि नत्वा गृहं गत्वा, दैत्वा राज्यं स्वमंत्रिणे // निरंपत्यो नृपः पार्थे, गुरोः संयममग्रहीत् // अथ रत्नाकरो राजा, पालयित्वा नुवं चिरम् // पुत्राय रत्नदेवाय, राज्यं दत्वागृहोश्चत्तम् // 336 / / . पछी पुत्ररहित राजाए मुनिने नमस्कार करी घरे जइ पोताना प्रधानने राज्य आपी गुरु पासे चारित्र लोधुं. // 335 // पछी रत्नाकर राजाए वहुकाल पृथ्वीनुं पालन करी रत्नदेव पुत्रने राज्य आपी | चारित्र लोधुं // 336 // पाल्य संयम नव्यन्नावेन से मुनीश्वरः // विहितानशनः प्रांते, सौधर्मे त्रिदशोऽलवत् // चिरं सुखान्यसौ नुक्त्वा, देवलोकार्त्ततश्चयूतः॥ अष्टमोडेनंतनामासीत्तनयस्तव नूपते // 330 // ___अनुक्रमे ते मुनिश्वर श्रेष्ट भावथी चारित्रने पाली अने अंते अनशन लइ सौधर्म देवलोके देवता थया. // 337 // ( श्रीनरवर्मा केवली गुणवर्मा राजाने कहे छे के.) हे राजन् ! ए मुनिनो जीव त्या दोर्वकाल मुखोने भोगवी अने पछी सांथी चवाने त्हारो आठमो अनंत नामनो पुत्र थयो छे. // 338 // XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX Jun Gun Aaradhak Trust एना