________________ PPA Gunratnasuti MS गुण सोपोलनं सुहृल्लेख, मुक्त्वा नूपं ननाम सः॥ तत्स्वरूपे परिझाते, सैति सोऽयं विसिमिये॥ चरित्र, तथापि हंतुकामरतमंन्ये द्युनूपति जंगौ // मनोझमद्य कर्पूरं पत्राणि च समानय / / 316 // // 5 // त्यां नेणे सभामां ठबका सहित हेमकुंभ राजानो पत्र मुकी श्रीचंद्र राजाने नमस्कार कर्यो. ए चंद्र पण ते वृत्तांत जाणी विस्मय पाम्यो. // 315 // तोपण कोइ दिवसे रत्नाकरने मारवानी इच्छावाला राजाए तेने क युं के, “आजे मनोहर कपूर अने तांबूल लाव्य. // 316 // , तथाकृते नेपो रात्रौ, सामंतेभ्यः स्वपाणिना // ददौ कर्पूरमिश्राणि पत्राणि परमादरात् // 317 नूपः करतले तस्य, विषं न्यस्य दैलैः समम् // कर्पूरो गृह्यतां मंत्रिन् , नक्ष्यतामित्यनाषत // रत्नाकरे कपर अने तांबुल लावी आप्या एटले राजाए रात्रीए पोता हाथैथी. सर्वे सामंतोने बहु आद: रथी ते कपूरयुक्त तावुलो वेहेंची आप्यां. // 317 // राजाए पोतानी हाथलीमां तांबुलनो साथे विष मूकी मंत्रीने “हे प्रधान ! आ कपूर गृहण करो अने भक्षण करो." एम कडं. // 318 // विषं कर्पूरतां प्राप्तं, नकतिस्म स तत्क्षणम् ॥नूपे चमत्कृतेऽकस्मान्मध्ये कोलौहलोऽनवत् // आगता त्वरितं दासी, स्माह स्वामिनिशम्यताम् // देवी चंशवतो बाढं, व्याकुला वर्ततेऽधुना॥ . ते वखते विष कपूर थइ गयुं ते प्रधाने तुरत भक्षण कर्यु, जेथी राजा चमत्कार पाम्यो. एटलामां अक* स्मात् अंतःपुरनी मध्ये कोलाहल थयो, // 319 // पछी तुरत सभामां आवेली दासीये कह्यु के, हे स्वामीन् ! - सांभलो. हवणां चंद्रावती देवी वहु व्याकुल थइ गया छे. // 320 // चपेटया ईता केनाप्यदृष्टान्यनै तल्पतः॥ पतिती पृथिवोपीठे, सुंठति ग्रेहिलेवे सा // 31 // नृपेण शीघ्रमागत्य, गुगुलोजाहपूर्वकम् // नाषिता सा बैषा तस्मै, चपेटां दाँतुमुद्यता // 322 वली कोइ वीजाए अदृश्यपणे लपडाकथी मारेला होयनी? एम ते शय्याथी पृथ्वी उपर पडीने गांडानी पेठे आलोटे छे." // 31 // पछी राजाए तुरत त्यां आवो गुगुलनो धुमाडो करीने बालावी एटले ते क्रोधथी राजाने लपडाक मारवाने तैयार थइ. // 322 // Jun Gun Aaradhak Trust anaa