________________ P A , Gunratnasuti MS गुण रेऽस्ति श्रीकांचनपुरे, मन्मित्रं नृपतिः पृथुः // अनेन प्रभृतेन त्वं प्राग् रूँष्ट प्रीणायाशु तम् // मुज्ञ में नापनेतव्या, मार्गे किंतु सन्नांतरे // बोटॅयित्वा त्वया देयः केरोस्ति मैनोरमः // // 56 // .. अरे मंत्री ! श्रीकांचन नगरमां म्हारो मित्र पृथुराजा छे. तुं पूर्व म्हारा उपर रोष पामेला ते राजाने आ भेटथी झट प्रसन्न कर. // 299 // रस्तामा म्हारा सीकाने तोडवो नहिं, परंतु सभामा त्हारे छोडीने राजाने देखाडवो. एमां मनोहर कपूर छे. // 300 // इति शिक्षा स्वयंमत्वा, 'प्रेषितोऽसौ महीनुजा // मंत्री तथैव चक्रे तैनशम केर्पूरतां गतम् // राज्ञा समानितोऽत्यंत, राजकार्य विधाय सः॥ निजपुर समागत्य, प्रेणनाम नरेश्वरम् // 30 // आ प्रमाणे पोते शीखामण आपी राजाए मोकलेला ए रत्नाकर मंत्रीए तेज प्रमाणे कर्यु. अने ते घडानी ) अंदर भरेली भश्म कपूर थइ गइ. // 301 // पछी ते पृथुराजाए अत्यंत सत्कार करेला रत्नाकर मंत्रीए राज कार्य करी पोताना नगरे आवी श्रीचंद्र राजाने नमस्कार कर्यो. // 302 // विस्मितोऽपि हेदि मापः; स्वरूपं विनिवेदयत्॥पुनात्वा तमौदिल्लिखित्वा लेखमात्मना arl पुरे हेमपुरे हेमकुंनो नूपः सुहन्मम // तस्मै लेखं दायेति", वाच्यं वाच्यः स्वयं त्वया // 304 हृदयमा विस्मय पामेला श्रीचंद्र राजाए ते स्वरूप निवेदन करी अने फरी विचार करीने पोताना हाas थथी पत्र लखी ते रत्नाकर मंत्रीने आज्ञा करी // 303 // हेमपुर नगरने विषे हेमकुंभ नामनो राजा म्हारो है मित्र छे, तेने आ पत्र आपी एम कहेवू के, तमारे पोताने आ पत्र यांचवो. // 304 // इति शिक्षामयो बिबेन्मंत्री निगरं गतः // लेखं दत्वा नॅप नेत्वासोनः शिष्योक्तिपूर्वकम् // नूपतिर्वाचयामास, तं लेखमिति मत्र्य 'सौ॥ वध्यो लोकापवादेन, मैया "हतुं न शक्यते // _ पछी ए प्रमाणे शाखामण सांभली मंत्री हेमपुरे गयो अने त्यां पत्रं आपी राजाने नमस्कार करी समाचार कहेवा पूर्वक बोल्यो. // 305 // पछी राजा ते पत्रने आ प्रमाणे वांचवा लाग्यो के,"आमंत्रो लोकापवादथी वध करवा योग्य छे, परंतु ते म्हाराथी वध करवो अशक्य छे. // 306 // DUEIL Jun Gun Aaradhak Trust