________________ K* PGBUMS गुण नूपालस्तूर्णमागत्योहट्य तालकमादरात् // स्तुवंतं देवतां प्रेक्ष्य, पमित प्रतिमाप सः // चरित्र. RWAD स्वगृहे सोत्सवं प्रेष्य, पंमितं पतिययौ // दिने तृतीये 'तं होरमर्पयामास सँ स्वयम् // ते राजा पण तुरत त्यां आवी आदरथी तालाने उघाडी अने देवीनी स्तुति करता एवा पंडितने जोइ प्रीति पाम्यो. // 267 // पछी पंडितने उत्सव सहित तेना घरने विषे मोकली भूपति पोताने घेर गयो. . ते पंडिते पोते पण त्रीजे दिवसे ते हार राजाने सोंप्यो. // 268 // किमेतदिति नूपाले, पृथति स्माह पंडितः॥ परीक्षा सिँवितायाः स्वकलायाः प्रेक्षिता मया॥ इत्यादि सर्वलोकोषु, प्रजल्पत्सु परस्परम् // धनश्रेष्टिसुतो रात्नाकरस्तैत्र समागतः // 70 // ___ "आ शुं" एम राजाए पूछयु एटले पंडिते कडे के, में शाखेलो पोतानो कलाना परोक्षा जोइ. // 269 // इत्यादि सर्वे लोको परस्पर वातो करता हता. एवामां धनशेठनो पुत्र रत्नाकर त्यां आव्यो. // 270 // . तत्स्वरूपं परिझाय, से नेत्वा नूपति जगौ॥ पश्चादपि हि यो वैक्ति, से वैक्तु प्रथम मति // लोकेषु कृतमौनेषु, सर्वेषु से नृपाझया // रज्जुमानाययामास, स्तंन्नबंधकृते कृती // 7 // रत्नाकर ते वात जाणी राजाने नमस्कार करोने कहेवा लाग्यो के, " जेने पाछ लथो कहे, होय ते पोतानी बुद्धिने प्रथम देखाडी आपो. // 271 // पछो सर्वे लोको वाल्या विना उभा रह्या एटले बुद्धिवंत ए. el वा ते रत्नाकरे राजानो आज्ञाथी स्तंभने बांधवा माटे दोरो मंगावा. // 272 // तत्प्रांतं पतेः पाणौ, नृस्य धृत्वा चता स्वयम् // तटस्थ एवं बब्राम, तेटाकं परित : सुधीः॥ ऐवं कृते स्वयं स्तनब सति महीपतोः // सर्वमुद्रां ददौ तस्मै, विस्मयस्मेरमानसः॥७॥ बुद्धिवंत रत्नाकर त दोरोनो डेडो राजाना हाथनां आपी अने पछी ते सर्व दोरी पोते लेइने तलावने कांठे कांठ रह्यो छतो सर्व तलावने चारे तरफ फरो बल्यो- // 273 // एम क * धायो एटले आश्चर्यथो हर्पित मनवाला राजाए तेने प्रधानमुद्रा आपो. // 27 // **XXXXX************XXXXXX**** Jun Gun Aaradhak Trust Nuut