________________ P.P.A. Gunratnasuti MS PARAXXXXXXXXXXXXXXXXXXX************ चारिता न मया हारा, वचत परमवार / / सावक ज्ञानन पश्यामि, कि त्वउक्तन उट र से प्रोचे यदि ते झानं, वर्तते देवि चंडिके॥ तदा मे संशयच्छेद, केत्वा कुर्याद्यथारूचि॥ पंडिते कडं. " हे परमेश्वरी ! में हार चोर्यो नथी." देवीए कह्यु. अरे दुष्ट ! हुं ज्ञानथी जोबुछु. हारा कहेवाथी शुं ? // 259. // कमले कयुं, " हे देवी चंडिका ! जो तने ज्ञान होय तो म्हारो शंसय छेदोने तुं मरजी प्रमाणे कर. // 260 // कः संशय इति प्रोक्तं, से 'प्रोचे शृणु चमिक॥ पिता पुत्र उन्नौ मार्गे, चेलेंतुः प्रोतिशालिनी॥ तौ विलोक्यः पदन्यासं, नार्योरेन्योन्यमुचतुः॥ एका नीचों परत्युञ्चों, तन्मार्गे जतः स्त्रियोः / " हारे शो शंसय छे ?" एम देवीए कह्यु एटले तेणे कह्यु के, हे चंडो! सांभल. पिता अने पुत्र प्रीतिवंत एवा ते बन्ने जणा मार्गने विष जता हता. // 261 // ते पिता पुत्र रस्तापां वे स्त्रीयोनां पगलां जोइ परस्पर कहेवा लाग्या. ते मार्गमां जती एवी स्त्रीयोमा एक नीची अने बीजी उंची हती. // 265 / / पुत्र प्रोवाच नीचा मे,प्रोचालवतु ते पितः|अन्योन्यमिति जल्पंतौः, तोते देशतः स्त्रीयौ नीचा पुत्रेण चानीता, प्रोच्चा तु जनकेन सा॥तेच तांन्यां कृते नार्ये, प्रोच्चा पुत्री पैरा प्रसूः॥ पुत्र कह्यु. " हे पिता" म्हारी नीची अने तमारी उंची थाओ." एम परस्पर बोलता एवा ते बन्ने जणाए ते बन्ने स्त्रीओने दीठी. // 263 // पछी पुत्र नीची स्त्रीने लाग्यो अने पिता उंची स्त्रीने लाव्यो. वली तेओ ते स्त्रीयोने परण्या. तेमां उंची पुत्री हती अने नीची मा हती. // 264 // तेषां च तदपत्यानां, संबंधः किमायत // इति मे संशय निंहि झानं 'चेत्तवें वर्तते // तस्यां तस्योत्तरं चिंतयंत्यां गता निशा देव्याम् // कैलाशमाप्तयां, प्रेनातं च ततोऽनवत् // तेओनो अने तेओनां छोकरानो संबंध शुं थाय ? ए म्हारो संशय छेद. जो हारामां ज्ञान होय / *तो." // 265 // पछी ते देवी तेनो उत्तर विचारवा लागी, एटलामां रात्री गइ तेथी देवी कैलाश गइ अने प्रभात थइ गयो॥ 266 // K***XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXYY Jun Gun Aaradhak Trust