________________ PIP.AC.Guriratnasun.M.S. गुण तेत्रास्ति चैमिका देवी, दिव्यप्रत्ययकारिणी॥स्थापितो नवने यस्या,यन्यायो "नै जीवति॥ चरित्र. al ततस्तेन सह मापो, देवतान्नवनं गतः॥ प्रोवाच चंडिके देवि, शैक्षिकाद्य "पंझिते // ते नगरमां दिव्यन पार करनारी चंडिका देवी छे, ए देवीना मंदिरने विषे राखेलो अन्यायी / * जीवी शकतो नथी. // 251 // पछी राजा 1 पांडत सहित देवाना मंदिरमा गयो अने कहेवा लाग्यो के, 2 "हे चंडिका देवी ! आजे पंडितनी शुद्धि करवी. // 252 // आनाय्य तंत्र पत्राणी, पंमितः कुसुमानि च॥ निविष्टः पुरतो देव्याः, सर्वलोको विनिययौ"॥ दाप्य तालकं हारे, पोऽपि संदने ययौ // पंमितः पुरतो देव्या, नदतिस्म देलानि सः // पंडित पण त्यां तांबुलपत्र अने पुष्प मंगावीने देवीनी आगल बेठो अने सर्वे लोको चाल्या गया. // 253 // राजा पण बारणे तालुं वासीने पोताने घेर गयो. पछी ते कमल पंडित देवीनी आगल तांबुलनु * भक्षण करवा लाग्यो. // 254 // चर्वं च च पैत्राणि, तांबूलं देवतां प्रति // चिके निर्नयः सोऽप्यात्रिश्च सेंमागतः // रौपं दधाना सा, मुखे हुंकारकारिणी // खनन्नापयंती चे प्रत्यक्षा देवतानवत् // 256 वली निर्भय एवो ते पत्रने चावतो चावतो तेनो रस देवता उपर नाखवा लाग्यो. एवामां अर्द्धरात्री थइ. // 255 // भयंकर रूपने धारण करती मुखे हुंकार शब्द करती अने खड्गने उच्छालती ते देवी प्रत्यक्ष थड // 256 // त्वमिणी च सूर्याणी, ब्रह्माणी परमेश्वरी // पंडितस्तां च तुष्टाव, वैनापे सौ च तं प्रति॥ 'रे हारं चोरयित्वात्र, निषणोऽसि मैमाग्रतः॥तांवलं तिपसि स्वैरं, वीक्ष्यतां किं करोम्यहम् // __ पछी "तुं इंद्राणी, 'सूर्याणी, ब्रह्माणी अने परमेश्वरी छे." एम पंडित देवोनी स्तुति करवा लाग्यो एटले देवीए तेने कह्यु. // 257 // अरे ! तुं हारने चोरीने अहिं म्हारी आगल बेठो छे ! अने मरजी प्रमाणे तांबूल फेंके छे ! जो. हवणां हुँ करुंछं. // 258 // an53 // Jun Gun Aaradhak Trust