________________ गुण चरित्र PPA Gunnasuti MS विवेकी एवा केटलाके कयुं के, राजा आपणी बुद्धि जुए छे; पण लक्ष्मीनी पेठे ते बुद्धि पण पुन्य विना प्राप्त थती नथी. // 235 // बुद्धिथी विषम एवां पण कार्यों तुरत सिद्ध थाय छे. जेम कमले पोतानी बुद्धिथी चंडिकाने छेतरथा. // 236 // तथाहि नरतेऽत्रास्त्यवंतीनाम महापुरी॥ तंत्र श्रीपालनूपालो नूमीपालशिरोमणिः // 237 / / "पंमित्तः कमलाख्योऽस्य, स्वन्नावविमलाशयः॥ द्विसप्ततिकलापात्रं, विख्यातः पृथिवीतले॥ (लाको परस्पर तेज वार्ता करे छे के,) आ भरतक्षेत्रने विषे अवंती नामनी नगरी छे. त्यां राजाओमां मुकुटमणिरूप श्रीपाल नामनो राजा राज्य करतो हतो. // 237 // ए राजाने स्वभावथी निर्मल मनवालो, बोतेर कलानु पात्र अने पृथ्वीमां विख्यात एवो कमल नामनो पंडित हतो. / / 238 // सोन्याश्चितयामास झसप्ततिकलाःकिल // विझातास्ति मया किंतु, कलानामेकॅसप्ततिः॥ हासप्ततितमी चौर्यकलां शिके कुतोऽप्यहम्॥ई हातं द्युतकारेन्यः,सौ शियेत विचक्षणैः॥ ____ एक दीवस ते कमल विचार करवा लाग्यो के, "निश्चे कलाओ बोतेर छे, पण मेंतो इकोतेर कलाओनो अभ्यास कर यो छे. // 239 // हवे हुँ बोतेरमी चौर्य कला कोनी पासेथी शीलूँ ? हा जाण्यु. विचक्षण पुरुषो ते विद्या जुवारी लोको पासथी शीखे छे." // 240 // ध्यात्वेति' द्यूतकाराणां, स सेवा कर्तुमुद्युतः॥ तैः पृष्टो हेतुना केनं, सेवेनीया वयं तव // 41 से प्रोचे प्रायसःसर्वकलासु कुशलोऽस्म्यहम् ॥किंतु चौर्यकैलाया में ,किंचिन्मर्म प्रकाश्यताम, ___आ प्रमाणे विचार करी ते कमल जुवारी लोकोनी सेवा करवाने उद्यमवंत थयो, तेथी तेओए तेने पूछयु के, शा कारणथी अमे त्हारे सेववा योग्य थया छीये. // 241 // कमले कह्यु. "घणुं करीने हुं सर्व कलामां कुशलछु, परंतु मने चौर्यकलानो कांइक मर्म प्रकाश करो." // 242 // 'तेप्रोचुमन्यते नैवे, कृते चौर्ये केदाचन ॥इति शिदां समादाय, स्वस्थानं पंमितो ययौ // Jun Gun Aaradhak Trust