________________ PP.AC.Gunratnasun M.S. माटे गयो. // 228 // चलच्चकोरचक्रांगचक्रवाकचयाकुलम् // ब्रमभ्रमरऊकारमुखरीनवउत्पलम् // 2 // प्रंसपल्लहरीबाहुवल्लरीश्लिष्टपादपम् // वनार प्रीतिसंन्नारं, कासारं वीक्ष्य पतिः॥२३॥ चालता चकोर, चक्रांग अने चकलाओना समूहथी व्याप्त, भमता भमराओना झंकारथी वाचाल कमलोवालुं अने चारे तरफ प्रसरती लहेरो रुप हाथनी वेलोथी वृक्षोने स्पर्श करता एवा ते तलावने जोइ राजा बहु प्रशन्न थयो / / 229 // 230 // कासारांतःस्थितं स्थंन्न, दृष्ट्वा प्रोचे महीपतिः॥ शेषवंतु मंत्रिणः सर्वे, सर्वे लोको कोविदः अकृत्वा सलिले पादनिवेशं तीरसंस्थितः॥ बन्नाति यः सरस्तंन्नं, मंत्रिता तस्य दीयते॥२३॥ ___ पछी तलावनी अंदर रहेला स्थंभने जोइ राजाए कह्यु "चतुर एवा सर्वे मंत्रीओ अने सर्वे लोको! तमे / सभिलो / / 231 // पाणीमां पग मूकया विना फक्त कांग उपर रहीने जे पुरुष तलावनी मध्यमां रहेला स्थंभने बांधशे, तेने हुं मंत्रीपणुं आपीश. // 232 // इत्युद्घोषणया सर्वे, मिलितास्तंत्र मंत्रिणः॥ संगताश्चतुरा लोकाः प्रो, रेवं परस्परम् // कथं तैटस्थितैः स्तंनो, बध्यते मध्यसंस्थितः॥ नत्तानेनापि दस्तेन, स्पृश्यते "नेमंगलम् // राजानां आवां वचनथी त्यां एकठा थयेला सर्वे मंत्रीओ अने मलेला सर्वे लोको परस्पर एम कहेवा लाग्या के, // 233 // "कांठे उभेला माणसोथी मध्यमा रहेलो स्थंभ शी रीते बंधाय? कारण उंचा करेला ए वाय पण हाथथी चंद्रमंडलने स्पृश करी शकातुं नथी. // 234 // एके विवेकिनः प्राहुर्बुझिरेवै विलोक्यते॥ लक्ष्मीरिर्वं परं सापि", नाप्यते सुकृतं विना // 235 बुद्ध्या सिध्यंति कार्याणि, विर्षमान्यपि तत्कणात् // स्वबुझ्या वंचैयामास, चंडिका कमलो यथा / 201838 Jun Gun Aaradhak Trust