________________ गुण // 51 // PPA Gunratsuti MS चरित्र धनेश्वरस्य जीवोऽथे, तस्याः कुदि समागतः॥ समये स तयासूतः, पिती चक्रे महोत्सवम्॥ रत्राकर तिपित्या, नाम तस्मै ददौ पिता॥ क्रमेण मानोऽष्टवर्षमानो बेनूव सः // 22 ___पछी धनेश्वरनो जीव ते धनवंतीना उदरने विषे आव्यो. अवसरे तेणे पुत्रने जन्म आप्यो एटले पिताए तेनो जन्म महोत्सव को // 222 // पिताए प्रितीथो तेनुं रसकर एवं नाम पाडयु. अनुक्रमे वृद्धि पामतो ते पुत्र आठ वर्षनो थयो. // 222 // केलाकलापकौशल्यवल्लीनां च महीरुहः॥ न जहार मनः कस्य, स प्रंशस्यगुणोत्करः // 23 ईतश्च राजा श्रीचंशे, लोवृत्तबुन्नुत्सया // निर्यातो नष्टचर्यायामंधकारपटावृतः // // _कालना समूहने विष कौशल्यता रुप लताओना आधार एवा वृक्षरुप ते वखाणवा योग्य गुणसमूहवाला राजकुमारे कोना मनने हरण कर्यु नहोतुं ? अर्थात् सर्वना मनने हरण कर्यु हतुं. // 233 / / हवे कोइ वखते श्रीचंद्र राजा लोकना वृत्तांत जाणवा माटे गुप्तरीते अंधारव स्त्रो ओढीने फरवा निकल्यो. // 224 // ब्राम्यस्त्रिकचतुष्केषु, वीक्ष्य प्रेदणकं स्थितः॥ नटेन पठितं नाट्ये, 'लोकं सुश्राव नूपतिः॥ बुर्यिस्य बलं तस्य, निर्बस्तु कुँतो बलम् // वने सिंदो मंदोन्मतः,शंशकेन निपातितः॥ त्रण सेरी अने चार सेरीमा फरता अने कोइ ठेकाणे थता नाटकने जोइने उभा रहेला राजाए नाटकमां नटे कहेला एक श्लोकने सांभल्यो. // 225 // जेने वुद्धि तेनुं वल. वुद्धि रहितने बल कयांथी होय. बु- * दिना वलथी वनमां मदोन्मत्त सिंहने शशलाये कूवामां पाडयो छे. // 226 // ततो मे मंतिमान्मंत्री, निश्चित कोऽपि वीयते॥इति ध्याय न्नैपो"गेहं, गत्वा सुष्वाप निया - प्रातः प्रबुझः प्रातस्त्यकार्यं कृत्वा नरेश्वरः // ययो तुरंगमारुढो, दृष्टुं निजसरोवरम् // 2 // ___ पछी "म्हारे निश्चे कोइ पण बुद्धिवान् प्रधान शोधी लेवो.” एम विचार करतो राजा घरे जइ निंद्राथी उघी गयो. // 227 // सवारे जागी उठेलो ते राजा प्रातःकार्य करीने घोडा उपर वेसी पोतानुं सरोवर जोवा // 1 // Jun Gun Aaradhak Trust