________________ PP.AC.Gunratnasun M.S समयेऽयं सुते राज्यं, न्यस्य संयममग्रहीत् // विहितानशनः प्रीते, सौधर्मे त्रिदेशोऽनवत् // पछी ते लक्ष्मोधर राजाए दीर्घकाल पर्यंत पृथ्वीनुं पालण करता छता जिनराजनी पूनाथी पवित्र आत्मावाला थइ धर्मकार्य कयु. // 215 // पछी अवसरे पूत्रने राज्य सोंपी तेणे चारित्र लीधुं अने अंते अनशन A लइ ते लक्ष्मीधर सौधर्म देवलोकने विषे गयो. // 216 // चिरं सुखान्यसौ नुक्त्वा, देवलोकार्त्तत युतः // सप्तमःशंखनामा त यस्तवनंपते // __ ( श्रीनरवर्मा केवली गुणवर्मा राजाने कहे छे के ) हे भूपति ! ए लक्ष्मीवर त्यां बहु काल सुधी सुखो * भोगवोने पछी देवलोकथी चवेलो ते त्हारो सातमो शंख नामनो पुत्र थयो छे. // 217 // // इति पूजाधिकारे धननाथ कथा // Jun Gun Aaradhak Trust चूर्णपूजा कृता येन, फैलं तस्य प्रकाश्यते // चूर्णशब्देन कर्पूरो, हातव्योऽत्रं मनीषिन्तिः॥ ____ जेणे चूर्ण पूजा करी छे, तेनुं फल प्रकाश कराय छे. अहिं विद्वानोए चूर्ग शब्दयी कपुर जाणवो. // 218 // * अस्त्यत्रे नगरं रम्यं, जरते श्रीपुरानिवम् // श्रीवंशे नृपतिस्तंत्र, तेत्य चंवतो प्रिया // | तत्रैवं नगरे श्रेष्टी, पन त्यनिर्धानतः // प्रिया धैनवतो तस्य, सँती गुंगवती बन्नौ // 220 आ भरतक्षेत्रने विषे श्रीपुर नामर्नु मनोहर नगर छे. त्यां श्रीचंद्र नामनो राजा राज्य करतो हतो, तेने & चंद्रावती नामे स्त्री हती. // 219 // ते नगरमा धन ए नामनो शेठ रहेतो हतो. तेने सती एवी धनवती नामनी स्त्री गुणवंती हती. // 220 // .