________________ धम्मि- ममी निर्वसुगंबराः // पलायनाय विरली-नवंति व्योग्नि तारकाः // 4 // तातेयं गतप्राया / दपा स्त्रीवतत्रपातुरा // बहुकालोपदेश्यं त—द्यत्पृबति जवान पुनः // 4 // तदेतमंजनं योगं / गृहीत्वा स्वगृहं व्रज // श्रनेनादृश्यमूर्तस्ते / सर्व सादाद्भविष्यति // 20 // 271 __श्युदित्वा सुरो दत्वा / तस्यादृश्यांजनं ययौ // कृतकृत्यः कुमारोऽपि / ननामोपेत्य योगिनं // 51 // जगौ सगौवं योगी। वत्स त्वत्संगतेर्गतः // साफल्यं मे श्रमो मंत्र-साधनस्याष्टवार्षिक: सूर्यने ( शूरा सुन्नटने ) पावतो जोश्ने तेजना घामंबरविनाना तारान आकाशनी अंदर नाश वामाटे बुटवलुट थर जाय . // 4 // माटे या रात्री स्त्रीनीपेठे लज्जातुर थश्यकी नष्टप्राय श्रयेली, अने तुं जे पूजे जे ते घणे वखते कही शकाय तेवू . // 4 // माटे या यौगिक अंजन लेश्ने तुं तारे घेर जा? अने ते अंजनथी अदृश्य थश्ने ज्यारे तुं जोश त्यारे तने सघ सादात देखाशे. // 50 // एम कहीने ते देव तेने अदृश्य करनारं अंजन देश्ने गयो, तथा कृतार्थ थयेलो ते कु | मार पण यावीने योगीने नम्यो. // 11 // त्यारे ते योगी पण तेनुं सन्मान करीने बोल्यो के. | Jun Gun Aaradhak fusil P.P.AC.Gunratnasuri M.S.