________________ धम्मि- वृणु // सोऽप्यवग्योगिनोऽमुष्य / तत्पूरय समीहितं // 43 // देवोऽवादीन्मया मंत्र-सिधिस्तस्य कृमा तैव गोः // त्वं वदव प्रियं किंचि-दमोघं देवदर्शनं / / 44 // कुमारः स्माह यद्येवं / देव तदद मे प्रिया // धत्ते हेतोः कुतः शीलं / स्नेहलापि युवत्यपि // 45 // अवधिज्ञानतो बुध्वा-ऽन्य. धत्त विबुधस्ततः // पश्य प्रानातिकं लम-मेतत् प्राच्यामुदित्वरं // 46 // अयं निशावसानोबघटिकाघातनिःस्वनः // शक्तिवेधमिवायत्त / नारीषु स्वैरिणीषु च // 4 // विशाय सूरमायांतन थयो बु, माटे तुं वर माग? त्यारे कुमार बोव्यो के जो एम ने तो था योगीनी श्वा तुं सं. पूर्ण कर? // 43 // त्यारे देवे कह्यु के हे कुमारेंड ! में तेनी मंत्रसिकि करी यापीज , हवे तुं पण कक शबित माग ? केमके देवदर्शन निष्फल होय नहि. // 4 // हवे कुमार बोल्यो के जो एम ने तो हे देव! तुं कहे के मारी स्त्री (माराप्रते ) स्नेहवाळी तथा युवावस्थावाळी बे, बतां ते शामाटे शील धारण करे ? // 45 // त्यारे ते देव अवधिज्ञानथी जाणीने बोल्यो के तुं जो? या प्रभातकाळ्नु लाम पूर्व दिशामां नगवानी तैयारीमां . // 46 // या परोढीयानी घ. मीयालना टकोरानो अवाज स्वेबाचारी स्त्रीजना मर्मस्थानोने भेदी नाखे . // 4 // वळी था | Jun Gun Aaradimak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.