________________ 256 धम्मिः / किं स्थानस्थोऽवतिष्टते // Hए // स्तुमः कुमारं यस्येयं / जाया जातेति पूरुषैः // यस्याः पतिरयं | माई धन्या / सा कन्येत्यंगनाजनैः // 70 // वमाने समानेनो-बापेनैकमुखैरिव // प्रावेशयन्नृपः | सूनु-स्नुषे नृत्यध्वजं पुरं // 1 // युग्मं // शय्यासनधनैर्युक्ते / पृथग्वेश्मन्यतिष्टिपत् // कांता | मेकांतरक्तोऽपि / कुमारः सत्यसंगरः / / 72 // क्रीड्यते सा कुमारेण / दिवसे ववशेव सा॥ नितुरत हस्तिनापुरमां बावी पहोंच्योः / / 3 || ते वखते तेनो पिता पण स्नेहथी क्रोमोगमे मनुध्योसहित तेनी सामे याव्यो, केमके चंद्र नगते बते समुफ शुं स्थिर रही शके ? | 0 | ते कुमारनी अमो स्तुति करीये बीये के जेनी या पत्नी थने एम पुरुषोथी, तथाजेणीने या पति मब्यो ने ते कन्याने पण धन्य जे. एम स्त्रीनथी॥ 70 // मानसहित वचनोवडे अनेक मु. खोथी वर्णवाते बते नळती ध्वजा वाळा नगरनी अंदर राजाए पुत्रवधूने प्रवेश कराव्यो. // // 1 // हवे एकांत रक्त एवा पण कुमारे पोते करेली प्रतिज्ञा पाळीने पोतानी ते प्रियाने श य्या, श्रासन तथा धनथी युक्त थयेला जुदाज घरमा राखी. // 2 // दिवसे तो कुमार पोतानी .. / स्त्रीनीपेठेज तेणीनी साथे क्रीडा करे , परंतु रात्रीए हमेशां परस्त्रीनीपेठे तेणीने मुकी दे जे. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. * Jun Gun Aaradhak Trust