________________ धम्मि युग्मं // गजाश्वस्वर्णरत्नाद्यं / यद्यऽम्यं रसातले // अदान्मुदा तदा तत्तत् / कुमाराय नरेश्वरः / / मा // 70 // उद्मनानेन नः सिद्धं / देशदर्शनमित्यलं // प्रीताः परेऽपि सत्कृत्य / विसृष्टास्तेन जूनुजः // 71 / / कुमारः कतिचित्तत्र / स्थित्वाहानि न्यवर्त्तत // वधूमादाय रत्नाडे-खि लब्धमणिर्वणि 254 क् // 72 // सह दत्वा प्रयाणानि / कतिचित्सप्रियो नृपः // निवृतो रुदती पुत्री-मंके कृत्वैवम. न्वशात् // 13 // अन्युबानं गृहायाते / पत्यौ तस्यासनार्पणं // शयनं शयिते तत्र / शय्यात्यागहाथी, घोडा स्वर्ण तथा रत्न श्रादिक था दुनियामां जे जे मनोहर वस्तु हती, ते ते राजाए हर्षथी ते गुणवर्मा कुमारने अापी. // 50 // आ मिषयी आपणने था देश जोवाणो ते पण ठीक थयु, एम धारी संतोष मानता बीजा राजानने श्रीषेण राजाए सत्कारपूर्वक विसर्जन कर्या. // 71 // हवे ते गुणवर्मा कुमार त्यां केटलाक दिवसो रहीने वणिक जेम मणिन मेलवीने र. लाFिथी तेम पोतानी पत्नीने लेश्ने त्यांथी पागे वख्यो. // 72 // राणी सहित राजा पण केटलीक मजल तेनी साथे भावीने पाग वळती वखते पोतानी पुत्रीने खोळामां लेश्ने भावी रीते शिखामण देवा लाग्यो. / / 73 // पति ज्यारे घेर आवे त्यारे नना थर तेनी सामे जवू, तथा P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust