________________ धम्मि- हे / रोहिणी वेंदुनामुना / / 65 // बाला प्रोक्तेति हर्षाश्रु-पूरप्लावितलोचना / / स्वयमुत्कंठिता के | ते / तस्याक्षेप्सीदरजं // 66 // अहो सुष्टु वृतं सुष्टु / वृतमित्युलसकिरः / तत्र विद्याधरा व्यो. म्नः / . पुष्पवृष्टिं वितेनिरे / / 67 // . 253 अथातितामितातोद्य-ध्वनिध्वनितदिगाणे // गौरांगीगीयमानाय्य-धवलश्रेणिबंधुरे // 6 // वनावसंगतं सादी-कृत्य तद्राजमंडलं // कुमारेणोत्सवैः पुती / श्रीषेणः पर्यणाययत् / / 65 / / सृष्टि सफल करवाने श्वती हो तो चंडसाथे जेम रोहिणी तेम पानीसाथे तारो संगम कर ? / / // 65 // एवी रीते प्रतिहारीए कह्यामद हर्षाश्रुना समूहथी भीजाएली अांखोवाळी ते कुमारिका. ए पोतेज नत्कंठित थश्ने ते गुणवर्मा कुमारना कंठमां वरमाळा नाखी. // 66 // अहो! ठीक वरी, तीक वरी, एम मोटेयी बोलता विद्याधरोए त्यां याकाशमाथी पुष्पवृष्टि करी. // 67 // हवे मोटेथी वगाडेला वाजितना नादोथी दिशानो समूह गाजते बते, तथा मनोहर स्त्रीनं मनोज्ञ गीतोनी श्रेणि गाते बते / / 60 / / प्रसंगे मळेला ते सर्व राजाजना समूहन सा दीए श्रीषेण राजाए महोत्सवपूर्वक पोतानी पुत्रीने ते गुणवर्मा कुमारसाथे परणावी. // 65 // Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.