________________ धम्मि न राजगृहैश्वर्य-मेकलत्रं वितन्वता // लोकेऽप्यनुगृहं राज-गृहता विहिता श्रिया // 11 // तः / मा व्येव स्वजाश्लेष-सुखी मंच विधीयतां // साप्यूचे ताततुल्योऽयं / मम प्रणतिमर्हति // 5 // ततोऽग्रतो गता साऽवक् / कासीवासी कलानिधिः / वीरसेनो रसेनायं / वियतामुचितस्तव // 13 // 250 आसमुहं गता शंख-श्वेता विबुधवाजा // अस्य कीर्तिश्व गंगा च / पुनीतः सकलामिला / / // 55 // यो देहेनेदृशः कृष्ण-स्तद्नुः कीर्तिः कथं सिता / कुमार्येत्युदिते प्रोचे / प्रतीहारी ग लक्ष्मीवडे लोकोना दरेक घरमां राजाना घरोजेवू करी दीधुं . // 51 // माटे हे तन्वि! आराजाने तुं पोतानी लुजाना आलिंगनथी तुरत सुखी कर? त्यारे कनकवती बोली के या तो मारा पितासरखो , माटे मारे ते नमवा योग्य . // 5 // पछी बागळ जश्ने तेणी बोली के पा कलार्जना भंडारसरखो वीरसेन नामनो काशीनो राजा तने लायक , माटे तेने तुं रसपूर्वक व. र? // 3 // क समुद्रसुधि पहोंचेली, शंखसरखी नजळी तथा पंमितीने (देवोने) वहाली एवी तेनी. कीर्ति बने गंगा बन्ने समस्त पृथ्वीने पवित्र करे . // 55 // या शरीरे तो भावो का ले स्यारे तेनी कीर्ति सफेद क्याथी थ? एम राजकुमारीए कहेवायी प्रतिहारी आगळ चालीने बो. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust