________________ धम्मि- स्या इमामेकां / विज्ञ विज्ञापनां पुनः // 2 // स्वामिन वृत्तविवाहेऽपि / कियंत्यपि दिनान्यहं // सेविष्ये ब्रह्म माजिह्म-स्नेहोऽचियानया // 25 // स्नेहश्चायं वयश्चेदं / प्रार्थना पुनरीदृशी। किं ब्रूमः सांप्रतं सर्व-मपि कालेऽवगोत्स्यते // 30 // ध्यात्वेत्युरोगिरितटी-निर्फरायितमायतं / / | दत्वा तस्मै निजं हारं / कुमारः प्रत्यवोचत // 31 // वचनं जीवितेश्वर्या / वयं तस्याः कदाचन // न बुप्स्यामस्ततः स्वस्था / सापि खस्थानमासदत् // 35 // मेने हारः सनोहार -श्वेतशीतलमौ. ला आरोपी ने. // 27 // प्रगाते ते खरेखर सर्व राजा-मां बापनेज वरशे, परंतु हे चतुर! ते. णीनी एक विनंति आप-सांजळो? // 20 // हे स्वामी ! विवाह थयावाद पण केटलाक दिवसोसुधि हं ब्रह्मचर्यव्रत पाळीश, मारी या मागणीथी थापे मारापर स्नेह घटामवो नाद. // 5 // श्रावो स्नेह! यावी यौवनवय! अने प्रार्थना पानी यावी रीतनी! माटे अमो हाल शुं कहीये? अवसरे सघg जणा रहेशे. // 30 // एम विचारीने पोताना हृदयरूप पर्वतमां नदीना करणा| सरखो एक मोटो हार तेणीने देश्ने कुमारे कडं के, // 31 // ते प्राणप्रियानुं वचन अमो कटी / पण नथापीशुं नहि, ते सांगली शांत थयेली ते धावमाता पोताने स्थान के प्रावी. // 32 / / P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust