________________ साह धम्मि- साये / स्थितमालीय तन्मनः // 23 // धागादथ निजागारं / पतीयंती तमेव सा // तत्रैव स्वं / मनो मुक्त्वा / प्रियपादपरीष्टये // 24 // हारं हार्दमिव स्नेहं / दत्वा संदेशकं च सा॥स्वधात्री प्रे| षयामास / समीपे गुणवर्मणः // 25 // तेन गौरविता गाढं / विजनीकृत्य कृयवित् // सा व्याज हार नियाजं / हारहस्ता नृपांगजं // 26 // कुमार हारदंनेन / त्वत्कंठेऽस्ति निधापिता // पुत्र्या कनकवत्येयं / वरमाला रमालय // 27 // वरिष्यति दितीशेषु / प्रातस्त्वामेव सा ध्रुवं // शृणु त. o. // 12 // घणा राजाना उतारे भमवाथी थाकी गयेझुं तेणीनुं मन मनोहर वीवाळा ते गुणवर्मा कुमारप्रते स्थिर थयु. // 23 // पड़ी तेनेज पोताना स्वामी तरीके निश्चय करीने ते कु. मारीका पोताना स्वामिना चरणनी सेवामाटे पोतानुं मन त्यांज मूकीने पोताने घेरावी. // 24 // स्यारवाद पोताना हृदयना स्नेहने जेम तेम हार तथा संदेशो यापीने पोतानी एक धावमाताने ते गुणवर्मा कुमारपासे तेणीए मोकली. // 25 // ते चतुर कुमारे पण एकांते तेणीनो घणो | सत्कार कर्यो, पनी तेणीए हाथमा हार लेश्ने कपटरहित गुणवर्मा कुमारने कह्यु के, // 16 // हे खसीना स्थानरूप कुमार! मारी पुत्री कनकवतीए या हारना मिषयी तमारा कंठमां या वरमा | P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust