________________ * धम्मि- त्येवमसचित्त-तोषा दोषान्महीजुजां // सा जगाम कुमारस्य / निवासं गुणवर्मणः // 17 // चतु. / निः कलापकं // तत्र मित्रैः सह स्नेहं / दर्शयंत मनाक् स्मितैः // श्रुतामृतस्य तत्वज्ञैः / सप्रीति प्रीतमानसं / / 15 / निक्षिपंतं दृशं स्निग्धां / पादपातिषु पत्तिषु // कलावतां कलालोका-धु२४३ / न्वानं विस्मयाबिरः // 20 // सर्वालंकारसुजग-मनीघ्त्यमहासनं // बाबुलोके कुमारं सा। लू मिष्टमिव वासवं / / 21 // विनिर्विशेषकं // अहो मूर्तिरहो स्फुर्ति-रहो अस्य प्रसन्नता // ध्यायत्या इत्यसौ तस्या-श्चकारोचितगौवं / / / रिजरमणस्थान-ज्रमसंजनितश्रमं // कुमारे तत्र नतारे गइ. // 10 // त्यां मित्रोसाथे जरा हास्यपूर्वक स्नेह देखाडता, तथा शास्त्रामृतना तत्वने जाणनारानी साथे प्रीतिपूर्वक खुशथयेल मनवाळा, // 15 // नमस्कार करता नोकरीपर स्नेहयुक्त दृष्टि नाखता, कलावान लोकोनी कलान जोश्ने अाश्चर्यथी मस्तक धुणावता, // 20 // सर्व अलंकारोथी मनोहर बनेला, तथा नछता रहित महान बासनवाळा जाणे पृथ्वीपर रहेन इंड होय नहि एवा ते गुणवर्मा कुमारने तेणीए जोयो. // 21 // अहो! बानुं स्वरूप चाला. की तथा प्रसन्नपणुं केवु ! एम विचारती एवी ते राजकुमारीनो तेणे घनोज आदरसत्कार क. Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S. .