________________ 246 धम्मि- क्तिकः // राजकन्या वियोगिन्य-नला निहितो हृदि / / 33 // दृताहूतमय प्रातः / शुन्यदंनो मा घिसन्निनं // राजन्यकं विवेशांतः / स्वयंवरणमंमपं // 34 // मंचेषु सप्रपंचेषु / पंचेषुसममूर्तयः // सिंहासनानि नामांका-न्यध्यास्यंत नरेश्वराः // 35 // अस्थायि मंचमारूढे / निध्याते गुणवर्मणि // अपि मुक्तविवाहाशैः / दिनिपैः सत्रपैखि // 36 // तदा स्नातविलिप्तांगी। धृतसर्वांग वृषणा।। वाह्य यानमारूढा / निगूढानंगविन्रमा // 37 // पुरः प्रियसखीहस्त–विन्यस्तवरमालिका | पृष्टे बरफजेवां श्वेत अने शीतल मोतीवाळा ते हारने हृदयमा धारण करीने ते राजकन्या कुमारना वियोगथी तेने अमिशस्त्रसरखो मानवा लागी. // 33 // हवे प्रजाते दोभ पामेला समुऽसरखा स्वयंवर मंडपमां दूतोमारफते बोलावेलो राजाननो समूह दाखल थयो. // 34 // त्यां गोठवेली खुरशोनपर रहेला पोतपोताना नामना सिंहासनोपर कामदेवसरखी मूर्तिवाळा राजानं यावीने बेग. // 35 // पजी ज्यारे गुणवर्मा कुमार खुरशीपर बेग त्यारे तेमने जोवाथी बीजा राजान तो जाणे लड़ा पाम्या होय नहि तेम (पोताना) विवाहनी आशा बगेडी बेठा. // 36 // ढवे * | ते समये स्नान कर्याबाद शरीरे सुगंधी लेप करीने, सर्व शरीरपर या ऋषणो धारण करीने पुरुषों | P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust