________________ सार्थ धम्मि- मंत्रिपुत्रेण / सागरेण गुणाधिना // अन्यस्यन्नन्वहं सर्व-कलाः शैशवमत्यगात // 10 // तारं तारुण्यमाप्तोऽसौ / रूपेण च बलेन च // शव्यायतेस्म नारीणां / नानारीणां च चेतसि // 11 // अन्यदा विनिविष्टेषु / पार्षयेषु यथात्र मं // कुमारेऽस्मिन गुणागारे / श्रृंगारयति संसदं // 7 // 233 | एत्य पृथ्वीपतेः पादो-पांतं प्रणतिपूर्वकं // वेत्री व्यजिझपन्मौलि-कोटीरकीरितांजलिः // 3 // महीप श्रीपुरेशस्य / मंत्री श्रीषेण जुजः // मूर्त्यतरमिवायात-स्तिष्टति द्वारि वारितः // 4 // तमानयत मामत्र | मंदिवति दितिजानिना // श्रादिष्टोऽसौ ससन्मान-मानिन्ये मंत्रिणं सभां // बाव्यपणुं जलंधी गयो. / / 70 // मनोहर युवावस्थाने प्राप्त थश्ने ते रूप अने बळथी स्त्रीनना अने शत्रुजना मनमां शव्यरूप थयो. i // 11 // हवे एक दिवस सजासदो अनुक्रमे बेटे ते त. था ते गुणवान कुमार पण राजसभाने शोजावते ते // 12 // जमीदारे राजापासे यावी मस्त. कपर हाथ जोडीने प्रणामपूर्वक विनंति करी के, // 13 // हे स्वामी! श्रीपुर नगरना श्रीषेण रा. जानो रूपांतरसरखो मंत्री बारणे थावेलो, अने तेने में अटकाव्यो . // 9 // तेने तुरत मारी. | पासे लाव? एवी रीते राजाए हुकम कर्याथी ते सन्मानपूर्वक ते मंत्रीने राजसणामां लाग्यो / Gun Aara PP.AC.Gunratnasuri M.S.