________________ धम्मि- निधेरधिगमे नृणां / / याविनवंति विघ्नाय / विषया व्यंतरा श्व // 16 // ये बिजीषिकयामीषां / / न कुन्यंति मृदुचेतसः // ते मोहोद्ग्रहिलीता / ब्रमति नवचत्वरे / / 57 // ज्ञानादिरत्नसंदोह-म | निशं डोहबुधिनिः॥ दंड्यते विषयस्तेनै-जनः शिवपुराध्वगः // 50 // न कुर्वति जना जैनं / 230 | धर्म ये विषयेनवः / / लोनेन काचखंडानां / चिंतारत्नमहारि तैः // 55 // सांगारसारैषाशा / भोजनाशा विषेण सा // कुंतैः कंम्यनाशा सा / विषयैर्या सुखस्पृहा // 60 // माधुर्यमुपदश्यादौ गुरुए कहेली विधियी माणसोने ज्यारे धर्मरूपी निधाननी प्राप्ति थाय ने त्यारे तेमां व्यंतरोनी. पेठे विषयो विघ्न करवामाटे तत्पर थाय . // 56 // जे काचा हृदयना माणसो तेन्ना मरथी दोभ पामे , ते मोहथी प्रथिल थयाथका संसाररूपी चहुटामा जम्या करे . // 27 // मो. दमार्गे जता मनुष्यना ज्ञानादिरूप रत्नोना समूहने हमेशां देषबुझिवाळा विषयरूपी चोरो बुंटी जाय . // 17 // जे माणसो विषयना श्बक थश्ने जैन धर्म करता नथी, तेन काचना टुक. माना लोनी थश्ने चिंतामणि रत्न हारी जाय . // 55 // विषयोथी सुखनी जे श्ला करवी ते अंगाराजथी बाजूषणनी अाशा, विषवडे चोजननी अाशा तथा नालांथी खरज करवानी प्रा. P.P.AD, Gunratnasuri M.S... Jun Gun Aaradhak. Trust