________________ धम्मि- नुगृहमनोऽपवरके / धीमंजूषामतिस्मृतिसमुझे // निवसत् क तस्य वचनं / क कांचनं त्वगुपरिनि | वासि // 34 // व ते मे दिवसाः सार-सुधारसमया च // कामि तु मुर्मुराष्ट्र–ववामिस ढ़ोदराः // 35 // अतः परं शरीरे मे / लगत्येकः स धम्मिलः / / विरहव्याधिविध्वंसौ-पवं नो चे. 225 | चितानलः // 36 // नास्वादयामि तांबूलं / जूषां वपुषि नो दधे // वेणीबंधं न मुंचामि / यावत् पश्यामि न प्रियं // 37 / / श्त्यधिग्रहिणी खग-धारातीव्रसतीव्रता // अनैषीत्कुलबानेव / दिना केमके मारां शरीररूपी घरमां मनरूपी जेरडामां बुधिरूपी पेटीमां मतिनी याददास्तीरूपी मावमा मां वसनारूं ते धम्मिलनुं वचन पण क्यां? अने मात्र चाममीपर वसनारूं सुवर्ण क्या? // 34 // सारत अमृतरससरखा ते मारा दिवसो क्या ? अने धगधगती नहीना वडवानलसरखा था दि. वसो क्यां? // 35 // आजथी मांडीने जो तेना विरहरूपी व्याधिनो नाश करवामाटे औषधस. मान चिताग्नि मारां शरीरने न लागे तो पड़ी एक धम्मिलज माझं शरीर चोगवी शकशे..॥३६॥ | हवे ह ज्यांसुधि मारा प्रियतमने जोश नहि त्यांसुधि हुँ तांबूल चावीश नहि, शरीरपर या वृष. | ण धारण करीश नहि तथा वेणीबंध बगेडीश नहि. // 37 / / एवी रातना बनिग्रहवाळी तथा ख P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust