________________ धम्मि चिंतयन्नून-मनयैव मम प्रियः // मधूत्सकबलात्पीता-सवः स निरखास्यत // 30 // रे रे हुता शन हताश मदंबिकायाः / सर्वस्वदातरि दुरुक्तिकरोऽसि कस्त्वं // यन्मुंचसि गुपति नरसनाकराला / ज्वालावलीमधुहविःपरितर्पितोऽपि // 31 / दीरप्रदेऽपि पुरुषे विषदायकत्वं / हंहो मुजंगम नि४ जं गमयस्व गर्व // एषा मदीयजनी धनलदादेऽपि / यल्लीलया वदति तस्य विशतांशः // 3 // यथा मेऽतिप्रथामेति / प्रीतिस्तदचसाप्यहो / परदत्तैः परोलदै-रपि खणैर्न सा तथा // 33 // त. वना मिषयी मद्य पाइने मारा प्रियतमने कहामी मेव्यो बे. // 30 // अरे दुष्ट हुताशन! पोतार्नु सर्वस्व पापनारनी निंदा करनार एवो पण तुं मारी मातापासे शुं हिसाबमा जे? के जेयी मध घी आदिकथी तृप्त कर्या उतां पण तुं यमनी जिह्वासरखी जयंकर काळोनी श्रेणि कहाडी रह्यो . // // 31 / / वळी हे सर्प! दूध यापनार पुरुषने पण फेर देवारूप तारा गर्वने हवे तुं गेमी दे? के. मके लाखोगमे धन देनारमाटे पण या मारी माता फक्त सहेजमां पण जे जद्गारो कहाडे जे, ते. | नी पासे तारं झेर एक शतांश एटले सोमे जागे . // 3 // अरेरे ते धम्मिलना वचनथी पण मने जे प्रीति थती हती ते बीजाए आपेला लाखोगमे सोनामहोरोथी पण थवानी नथी. // 33 // | P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust