________________ धम्मि- चिरादेव वल्लीव / पालन पोषणं विना // व्यशुष्यद्रोहिणी धेनु-रपि दृष्टफलोदया // 15 / / ई. पलब्धधनः सोऽया-गतो विप्रो निरैदत // गृहमेकांत निकांत-पात्रनाटकसंनिनं // 16 // कि मकस्मादिदं जात-मिति संत्रांतचेतसः // तस्य कोऽप्यखिलोदंत-दीपकं श्लोकमब्रवीत् // 17 // 177. सोमदेवो नटो जातः / सोमशर्मा च गुर्वाणी / शालिवप्रस्तृणैश्वनो / न प्रसूता च रोहिणी // | // 10 // तत् श्रुत्वा जन्मतः खीय-वृत्तस्मरणदुमेनाः / अशक्तः सद्मनि स्थातुं। वनं गत्वाऽरुदलिः . | रोहिणी गाय पण पालणपोषणविना वेलमीनीपेठे तुरत सूका गइ. // 15 // पडी थोडंक धन | मेळवी घेर आवेला ते ब्राह्मणे मांथी पात्रो चाल्या गयां बे एवी नाटकशाळासरखं नजम पडे. बुं पोतार्नु घर जोयु. // 16 // अरे! या अचानक शुं थश्गयु! एवी रीते मनमां गगराट पा. मेला ते ब्राह्मणने कोए तेनुं सघयु स्वरूप जणावनारो एक श्लोक कह्यो के, // 17 // सोमदेव तो ना थइ गयो, अने सोमशर्मा गर्भवती ने, डांगरनुं खेतर घासथी ज्वाश् गयु , अने रोहि णी गाय वीया नथी. // 10 // ते सांजळी बेक जन्मथी पोतानी स्थिति याद आक्वाथी ते शि. 1 व ब्राह्मण मनमां घणोज खेद पामी घरमां नहि रही शकवाथी वनमा जफडवा लाग्यो. // 15 // Jun Gun Aaradnak PP.AC.Gunratnasuri M.S.