________________ धम्मि- तथा वा श्रीरा / जातिकर्मकुलैरवं // 10 // पद्मस्य पंकयोनित्वं / गोपालत्वं मुरद्विषः // कलां कित्वं विधोर्लदमी-वतः कोऽत्रः विगायति // 11 // निश्चित्येति कुलाशंका-मपास्य मिलतिस्म सः // नटानां धनलोभेन / स हि नामांतरं मधु 12 176 | यूनैकेन स्वसारेण / स्वसा तस्य स्वसात्कृता // फलं सुसिक्ता वलीवा-ऽचिरागनमधारयत् // 13 // | अशोध्यमानः केनापि / कर्मो घेरसुमानिव // नदारः शालिकेदारः / सर्वतश्गदितस्तृणैः // 14 // टे जात कर्म के कुलनी परखा करवानी नथी. // 10 // लक्ष्मीवान कमळना कादवथी थयेला जन्मने, विषणुना गोवाळीयापणाने तथा चंद्रना कलंकीपणाने कोण अहिं वगोवी शके 1 // 11 // - एम निश्चय करीने कुलाचारनी शंका गेमीने ते सोमदेव तो धनना लोभथी ते नटोसा. थे मळी गयो, केमके ते धन नामफेर मधलारसरखं . // 12 // तेनी बहेन सोमशर्माने को क धनवान युवाने पोताने स्वाधीन करी, तथा सारी रीते सींचायेली वेलडी जेम फळने तेम तेणीए तुरत गर्नने धारण को. // 13 // वळी कोइए पण नहि शोध्याथी कर्मोना समूहोथी | जेम जीव तेम ते फालेवू डांगरनुं सघg खेतर घासथी वा गयु. // 14 // तुरतमां वीयानारी / P.P.AC.Gummatnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust