________________ . 215 | धम्मि- हे-नेव मंदिरकंदरं // ही तत्र विलसंत्यद्य / केऽप्यन्ये हरवा श्व // 7 // खद्योतो द्युतिमत्सु का। .. मा चशकलं रत्नेष्वगेषु स्नुही / मेषो योध्धृषु खेचरेषु मशको भारदमेबूंदिरः / / प्रेतो नाकिषु गोष्प- .. दं जलधिषु स्थानेषु नाकुर्यथा / तद्दजातिविम्बनाय विहितो धात्रा मनुष्येष्वहं / / ए० // केचिज्जीवंति जीवंतो / नियंते च मृताः पुनः // मृता अप्यपरे जीवं-त्यहं जीवन्मृतः पुनः // 1 // अतःपरमयुक्ता त-कदाशा जीवितस्य मे // प्राणैरमीनिः पर्याप्त-मपवादमलीमसैः // 7 // लसी रह्या ! // 79 // तेजवंतोमा जेम खद्योत, रत्नोमा जेम काचनो टुकमो, वृदोमां जेम थोर, सुन्नटोमां जेम बेटो, पदीनमा जेम मबर, मजुरोमां जेम नंदर, देवोमां जेम प्रेत, समुद्रोमां जेम खाबोचीन तथा मकानोमां जेम बिल तेम फक्त जातिनी निंदामाटे विधाताए मने मनुष्यो. मां पेदा कर्यो बे. // 50 // केटलाक जीवताथका जीवे , अने मुश्राबाद मुएला गणाय . तथा बीजा केटलाक मुश्रा छतां पण जीवे , अने हुं तो जीवते मुबाजेवो थयो . // 1 // हवेथी मारे जीववानी खोटी आशा करवी ते अयुक्तज. केम के अपवादोथी मलीन थयेला या | प्राणोथी हवे सयु. // 7 // अरे नीच जीव ! तुं हजु शामाटे बेठो ? अरे प्राणो! तमोज. P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust